tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1042551587559849903..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: जरूर आना मेरी शोक सभा मेंविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-46161961353789476382010-12-17T10:26:20.886+05:302010-12-17T10:26:20.886+05:30वाह! नीचे यह भी हो - बिट्टू, बबलू, गुड़िया का अनुरो...वाह! नीचे यह भी हो - बिट्टू, बबलू, गुड़िया का अनुरोध - मेरे दद्दू की शोक शभा में जुलूल, जुलूल आना!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-22267834663653516772010-12-16T23:43:34.049+05:302010-12-16T23:43:34.049+05:30अरे क्यो झुठ बुलवाना चाहते हो जी... यहां ना जिन्दो...अरे क्यो झुठ बुलवाना चाहते हो जी... यहां ना जिन्दो की कोई तारिफ़ करता हे ना मरने के पशचात ही, वो तो मरने वाले से डर कर तारीफ़ करते हे कि कही भुत बन कर साला चिपक ही ना जाये.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-12259516781560267172010-12-16T21:33:57.825+05:302010-12-16T21:33:57.825+05:30@सीएम प्रसादजी,
कडाके की सर्दी है-सात डिग्री के आस...@सीएम प्रसादजी,<br />कडाके की सर्दी है-सात डिग्री के आसपास। साढे नौ बज रहे हैं। पूरा मोहल्ला सन्नाटे में डूबा है। मरी श्रीमतीजी गहरी नींद में हैं। मैं सिस्टम पर बैठा, काम निपटा रहा हूँ।<br /><br />आपकी टिप्पणी के दूसरे वाक्य ने मेरा बुरा हाल कर दिया है। हँसी रुक नहीं रही है। इस आनन्द को अकेले झेलने में बडी तकलीफ हो रही है। आपने तो निहाल कर दिया। आपके इस वाक्य को मैं जगह-जगह, बार-बार प्रयुक्त करूँगा। वाह। वाह। क्या बात है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-15799165458189518542010-12-16T21:07:04.447+05:302010-12-16T21:07:04.447+05:30`उसके जीते जी, हम उसकी प्रशंसा, अभिनन्दन क्यों नही...`उसके जीते जी, हम उसकी प्रशंसा, अभिनन्दन क्यों नहीं करते?'<br /><br />एक बार कोई कर सकता है, अब रोज़ रोज़ का रिकार्ड कौन बजाए :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-10922415215250658322010-12-16T13:44:04.183+05:302010-12-16T13:44:04.183+05:30प्रभावशाली पोस्ट। आभार।प्रभावशाली पोस्ट। आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-36056813745028860972010-12-16T12:55:06.829+05:302010-12-16T12:55:06.829+05:30शोक सभाएं होती तो हैं प्रभावशाली और कुछ हद तक प्रे...शोक सभाएं होती तो हैं प्रभावशाली और कुछ हद तक प्रेरक भी. असर होता है और कभी मुखर भी हो जाता है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-34533242618629990662010-12-16T08:42:11.871+05:302010-12-16T08:42:11.871+05:30प्रवीण भाई की बात प्रभावशाली है , म्रत्यु के बाद अ...प्रवीण भाई की बात प्रभावशाली है , म्रत्यु के बाद अक्सर लोग खानापूरी के लिए जाते हैं ! किसी शोक सभा में शोकाकुल लोग कभी नज़र नहीं आते , प्रणाम करके भोजन करे और घर जाएँ ....<br />इंसान जो जीते जी लोगों का सम्मान अर्जित करले, लोग अपने घर से भी उसे हार्दिक श्रद्धांजलि देंगे ! <br />शुभकामनायें आपकोSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-24336991947329809112010-12-16T08:25:39.989+05:302010-12-16T08:25:39.989+05:30मरणोपरान्त तो अपनी प्रशंसा सुनने के लिये कोई जीवित...मरणोपरान्त तो अपनी प्रशंसा सुनने के लिये कोई जीवित नहीं रहता है, कर्म ऐसे हों कि लोग जीते जी सराहें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com