tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1101378308866628452..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: व्यवस्थित शोकसभाविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-7047857551124007342011-07-10T11:29:08.202+05:302011-07-10T11:29:08.202+05:30मुझे लगता है कि समस्या शोक सभा में कर्मचारी नेताओं...मुझे लगता है कि समस्या शोक सभा में कर्मचारी नेताओं के पहुँचने के कारण हुई. नेतागिरी हर जगह चमकानी जरूरी है - शोक सभा हो या सुख सभा.<br /><br />पर, यह बात भी तय है कि यदि यह ऐसी ही कोई सुख-सभा भी होती तो स्थिति बहुत भिन्न नहीं होती - ये तो मेरा जिया हुआ अनुभव है - बड़ा चूहा - छोटा चूहा का खेल है ये.<br /><br />मैं भी यह पढ़कर हँस रहा हूँ, और, पता है कि बाद में उदास होने वाला हूं :(रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-64063185430386140832011-07-10T07:29:11.970+05:302011-07-10T07:29:11.970+05:30बहुत सारे विचारणीय बिंदुओं को एक साथ उभारती पोस्ट...बहुत सारे विचारणीय बिंदुओं को एक साथ उभारती पोस्ट.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-53351920308860433112011-07-09T18:15:03.733+05:302011-07-09T18:15:03.733+05:30दुखद, बदलते हुए समाज में भावनाओं के पतन का उदाहरण ...दुखद, बदलते हुए समाज में भावनाओं के पतन का उदाहरण है ये।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-90355107350398977922011-07-09T15:02:06.525+05:302011-07-09T15:02:06.525+05:30आग्रह या अधिकार,
भावनायें व्यापार।आग्रह या अधिकार,<br />भावनायें व्यापार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-11338610196122181502011-07-09T06:57:58.508+05:302011-07-09T06:57:58.508+05:30दुखद उदाहरण! यह सच है कि बहुत से लोग सम्वेदना प्रक...दुखद उदाहरण! यह सच है कि बहुत से लोग सम्वेदना प्रकट करने में भी लाभालाभ देखते हैं लेकिन यह भी सच है कि श्रमिकों का पक्षधर बनने वाले बहुत से संगठन असंतोष भडकाने के हर अवसर का शर्मनाक दुरुपयोग कर रहे हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com