tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1544447756756125456..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: ‘मंगते से मिनिस्टर’ की अन्तर्कथाविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-54703596963370031062019-10-25T19:44:44.327+05:302019-10-25T19:44:44.327+05:30बहुत-बहुत धन्यवाद।बहुत-बहुत धन्यवाद।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-79619553883097014822019-10-25T19:44:23.353+05:302019-10-25T19:44:23.353+05:30कहीं प्रकाशित नहीं हुई है। पांडुलिपि भी नहीं मिल र...कहीं प्रकाशित नहीं हुई है। पांडुलिपि भी नहीं मिल रही है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-77547925436792696242019-10-25T19:43:35.226+05:302019-10-25T19:43:35.226+05:30आपके पास यदि कोई संस्मरण हो तो कृपया अवश्य लिखें। ...आपके पास यदि कोई संस्मरण हो तो कृपया अवश्य लिखें। मैं ऐसे संस्मरण संग्रहीत कर रहा हूँ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-70007157109626510002019-10-24T11:59:11.392+05:302019-10-24T11:59:11.392+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (2...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-10-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "धनतेरस का उपहार" (चर्चा अंक- 3499) </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। <br />--<br />दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ <br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-91084495766465783412019-10-23T12:21:23.901+05:302019-10-23T12:21:23.901+05:30मुझे लगता है कि यदि यह आत्मकथा अब तक भी कहीं प्रका...मुझे लगता है कि यदि यह आत्मकथा अब तक भी कहीं प्रकाशित नहीं हुई है, और यदि पांडुलिपि कहीं उपलब्ध हो तो उसे इंटरनेट पर प्रकाशित किया जा सकता है. आग्रह है कि कुछ करें.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-79774357666179948542019-10-23T10:19:08.842+05:302019-10-23T10:19:08.842+05:30बेशकीमती स्मृतियाँ। भैया की सोहबत का पुण्यलाभ मुझे...बेशकीमती स्मृतियाँ। भैया की सोहबत का पुण्यलाभ मुझे भी मिला। अनेक बार, अनेक बरस। यूँ कहिये कि दुनिया में मेरे आँख खोलने के दिन थे। हम तो उन्हें मौन सुना करते या वे जो चाहते, सुना देते। <br />सादर, अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com