tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1832991094420713475..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: लोक कल्याणकारी योजना का आतंकविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-62886024644411985742014-08-29T05:00:44.241+05:302014-08-29T05:00:44.241+05:30आपकी पासबुक के ऊपर सूखी रोटी रखकर खाने की बात सही ...आपकी पासबुक के ऊपर सूखी रोटी रखकर खाने की बात सही लगती है। हमारे देश में पुलिस व्यवस्था की कमी को हेल्पलाइन खोलकर ही दूर किया जाता है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87040888282329122032014-08-25T13:26:38.963+05:302014-08-25T13:26:38.963+05:30ये कोई नई बात नहीं है.
जब मध्यप्रदेश में एक-बत्ती ...ये कोई नई बात नहीं है.<br />जब मध्यप्रदेश में एक-बत्ती कनेक्शन योजना की शुरूआत हुई थी तो इसी तरह का आतंक विद्युत मंडल के अभियंता-प्रबंधकों को भी झेलनी पड़ी थी, जिसका एक भुक्तभोगी मैं भी हूँ. मैंने स्वयं अपनी तनख्वाह में से पैसे डालकर लक्षित मात्रा के कनेक्शन खुलवाए थे. जिन आदिवासी ग़रीबों के पास एक वक्त की रोटी का भी जुगाड़ नहीं होता था, वो 1 रुपए 65 पैसे (तब यही दर थी) जमा कर एक बत्ती कनेक्शन लेकर करते भी क्या!<br /><br />खाता खोलकर वे शायद पासबुक के ऊपर सूखी रोटी रखकर खाएंगे तो शायद उसमें नमक और प्याज का स्वाद अपने-आप आएगा...रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com