tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post189812844667094232..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: हाँ, यह मैं ही हूंविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-11762191623149277112008-10-04T20:56:00.000+05:302008-10-04T20:56:00.000+05:30विष्णु जी,हिन्दी के अखबार तो यहाँ नहीं मिलते हैं. ...विष्णु जी,<BR/><BR/>हिन्दी के अखबार तो यहाँ नहीं मिलते हैं. आपके द्वारा यह ख़बर हमें भी मिल गयी.आपके हर्षातिरेक के सहभागी हैं. <BR/><BR/>धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-25550271136975019972008-10-04T20:34:00.000+05:302008-10-04T20:34:00.000+05:30इन ब्लॉगवीरों को बधाई एवं शुभकामनाऐं.ब्लाग हमारे व...इन ब्लॉगवीरों को बधाई एवं शुभकामनाऐं.<BR/><BR/>ब्लाग हमारे वर्तमान का उजला और अपरिहार्य भविष्य है -क्या बात कही है!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-55012290324418910032008-10-04T12:42:00.000+05:302008-10-04T12:42:00.000+05:30और यह मेरा सौभाग्य है कि इनमें से दो यानी कि सागर ...और यह मेरा सौभाग्य है कि इनमें से दो यानी कि सागर नाहर और संजय पटेल जी से मैं व्यक्तिगत रूप से मिल भी चुका हूँ और ये मुझे अपना मित्र मानते हैं…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-12526639090670104282008-10-04T12:08:00.000+05:302008-10-04T12:08:00.000+05:30बधाई .यह एक शुभ संकेत हैबधाई .यह एक शुभ संकेत हैरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-23377075230869602642008-10-04T10:31:00.000+05:302008-10-04T10:31:00.000+05:30विष्णु जी संगीत सारी सरहदों को तोड़कर दिलों को जो...विष्णु जी संगीत सारी सरहदों को तोड़कर दिलों को जोड़ता है । तभी तो हम सरहद के उस पार रहने वाली नैयरा नूर, मुन्नी बेगम, नूरजहां वगैरह को उतना ही सुनते हैं जितना लता, आशा, गीता या फिर सुमन कल्याणपुर को । गुलाम अली और मेहदी हसन जैसी हस्तियां ना होतीं तो कितना सूना होता ये संसार । <BR/>मैंने मुंबई में देखा है कि आइपॉड और मोबाइल फोन लोकल ट्रेन में और म्यूजिक सिस्टम कार में लोगों के सफर करने का बड़ा जरिया है । अगर ये ना हों तो लोग आपस में लड़ें । भिड़ जायें । आप सोचिए कि लोकल ट्रेन में किसी माल की तरह ठुंसे इंसान भी संगीत के जरिये संतुष्ट खुश और शिकायतविहीन रह लेते हैं । ट्रैफिक में इंच इंच गाड़ी बढ़ाते लोग सिस्टम पर बजते रेडियो या एमपी 3 के जरिए सड़क रूपी नर्क में भी मुदित रहते हैं । ये संगीत की ताकत ही है ना । <BR/>वरना महानगर में जीने के बहाने कम मजबूरियां ज्यादा हैं । यही हाल छोटे शहरों का भी है । <BR/><BR/>मजरूह सुलतानपुरी का शेर है--<BR/>रोक सकता हमें ज़िन्दाने बला क्या। मजरूह । <BR/>हम तो आवाज़ हैं दीवारों से छन जाते हैं ।।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-29202045279825819672008-10-04T10:24:00.000+05:302008-10-04T10:24:00.000+05:30हिन्दी ब्लागरी बंजर तोड़ कर उपजाऊ बना रही है। अभी ...हिन्दी ब्लागरी बंजर तोड़ कर उपजाऊ बना रही है। अभी तो जिक्र शुरू हुआ है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-22928618803468670092008-10-04T10:21:00.000+05:302008-10-04T10:21:00.000+05:30अच्छा है - इन सज्जनों को बधाई।अच्छा है - इन सज्जनों को बधाई।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com