tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post2397093587666009116..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: बड़बोले बयान और लोकतन्त्र का ऊँटविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-34177565867073660982012-09-29T07:29:43.456+05:302012-09-29T07:29:43.456+05:30बड़बोलेपन का भाव काफ़ी ज़्यादा है हमारे देश मेंबड़बोलेपन का भाव काफ़ी ज़्यादा है हमारे देश मेंSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-17650191533198398602012-09-27T20:03:26.995+05:302012-09-27T20:03:26.995+05:30फेस बुक पर श्री सुरेश चन्द्र करमरकर, रतलाम की टिप...फेस बुक पर श्री सुरेश चन्द्र करमरकर, रतलाम की टिप्पणी -<br /><br />नेता जब बोलता है तो उसके मुँह से बडबोलेपन के कीटाणु निकलते हैं और ये कीटाणु तब अधिक मात्रा में निकलते हैं जब श्रोता बड़ी संख्या में हों या ये किसी बड़ी आमसभा में हों। इनके तर्क भी बड़े अजीबोगरीब होतें हैं। गाँधीसागर बांध का उद्घाटन पंडितजी के कर कमलों से हुआ। उसके बाद चुनाव आये। विरोधी पक्ष के नेता ने आमसभा मैं कहा की अब आदमी बीमार पड़ेंगे। जब बाँध से बिजली लेंगे, पानी को गिराकर बिजली बनेगी तो पानी की ऊर्जा तो चली गयी अब पानी मैं कस कहाँ? वो पानी खेतों मैं जायेगा, तो पैदा होने वाले गेहूँ में कस कहाँ से आएगा? विष्णु! इनके तर्क ऐसे थोथे होतें हैं। इस भाषण वीर नेता का नाम आप जान गए होंगे क्योंकि हम एक ही जिले के हैं। मगर एक पहलू से नेता का बडबोलापन जरूरी भी है नहीं तो अधिकारी बडबोले हो जायेंगे। नेता तो अस्थायी है जबकि अधिकारी तो ३०/४० साल रहेगा। नेता एक आवश्यक प्रजाति है। अधिकारी,उद्योगपति के सन्तुलन के लिए यह जीव जरूरी है। विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-38108319920037931632012-09-27T19:52:09.988+05:302012-09-27T19:52:09.988+05:30फेस बुक पर श्री हिम्मत लाल जैन, रतलाम की टिप्पणी...फेस बुक पर श्री हिम्मत लाल जैन, रतलाम की टिप्पणी -<br /><br />सही नेता जमीन से आए, वही है। वार्ड पार्षद भी एक इम्पार्टेण्ट पोस्ट है भाई।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-8974022111183161242012-09-27T05:54:07.566+05:302012-09-27T05:54:07.566+05:30काश हम औरों की वैशाखियों के बिना ही महान होना सीखे...काश हम औरों की वैशाखियों के बिना ही महान होना सीखें..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-66811759157864656362012-09-27T05:39:29.756+05:302012-09-27T05:39:29.756+05:30आदमी को चाहिए, वक्त से डर कर रहे।
...आदमी को चाहिए, वक्त से डर कर रहे।<br /> कौन जाने किस घड़ी, वक्त का बदले मिजाज।<br /><br />ये आपने ऊँची बात कह दी Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-26944279047376641972012-09-27T01:25:13.724+05:302012-09-27T01:25:13.724+05:30फेस बुक पर श्रीसुशील मीनू माथुर, रतलाम की टिप्पणी...फेस बुक पर श्रीसुशील मीनू माथुर, रतलाम की टिप्पणी -<br />धन्यवाद और बधाई अच्छी जानकारी के लिए। समझदार और बुध्दिजीवी समय निकाल कर इस लेख को अवश्य पढें।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com