tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post280918905045221773..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: इसलिए है चीन हमसे आगेविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-23761162255506253512012-01-13T06:04:26.958+05:302012-01-13T06:04:26.958+05:30‘‘निज भाषा निज संस्कृति, अहै उन्नति मूल।’’
बात तो ...‘‘निज भाषा निज संस्कृति, अहै उन्नति मूल।’’<br />बात तो ठीक है लेकिन जहाँ हर चीनी की निजभाषा एक ही है वहाँ भारतीयों के साथ ऐसा नहीं है। जिस दिन निज की सीमाओं से से उठने वालों का आदर होने लगेगा नया युग आ जायेगा। किशोरावस्था की एक कविता पेश है:<br /><a href="http://pittpat.blogspot.com/2012/01/hindi-poem-seema-by-anurag-sharma.html" rel="nofollow">सीमा में सिमटा मैं अब तक <br />था कितना संकीर्ण हुआ <br />अज्ञ रहा जब तक असीम ने <br />मुझको नहीं छुआ।</a>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-60763846739069450082012-01-12T18:24:57.060+05:302012-01-12T18:24:57.060+05:30सार्थक बात कही है .. काश हिंदी को महत्व दिया जाता ...सार्थक बात कही है .. काश हिंदी को महत्व दिया जाता ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-54129720711778891912012-01-12T09:01:41.766+05:302012-01-12T09:01:41.766+05:30ई-मेल पर, श्री सुरेशचन्द्रजी करमरकर, रतलाम की टिप...ई-मेल पर, श्री सुरेशचन्द्रजी करमरकर, रतलाम की टिप्पणी -<br /><br />सही है। इसराइल भी ऐसा ही एक देश है जिसकी आबादी बमुश्किल दिल्ली के बराबर है मगर वहां चिकित्सा, अभियान्त्रिकी, समस्त प्रकार के विज्ञानं, भौतिकी, रसायन, जीवशास्त्र, गणित, भू-भौतिकी, जैव यान्त्रिकी आदि आदि सब हिब्रू मैं हैं। १४ मुस्लिम राष्ट्र उसे नेस्तनाबूद करना चाहतें हैं मगर वह छोटी सी आबादी, मातृभाषा,और राष्ट्र भक्ति के सहारे सबको टक्कर दे रहा है। इतना ही नहीं, रेगिस्तान में गुलाब की खेती करना, गुप्तचर प्रणाली का विकास, मिसाइलों की उन्नत तकनीक आदि में वह सिरमौर है। दिक्कत यह है की हिन्दी के विकास मैं हिन्दी की पेंगे भरनेवाले नेताओं की औलादें विदेशों मैं जाकर पढ़ती हैं और देश मैं आकर नेतागिरी करती हैं। उत्तर प्रदेश के चुनावों में ही देख लीजिए। हिन्दी के नाम पर सियासत करनेवाले बडे-बडे नेताओं की औलादें, जो हिंदी के नाम पर सियासत करते थे, उन्हें ही देख लीजिये।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-76107301114743467672012-01-12T06:59:02.096+05:302012-01-12T06:59:02.096+05:30जो देश अपनी भाषा की अवहेलना करता है, वह गूँगा हो ज...<b>जो देश अपनी भाषा की अवहेलना करता है, वह गूँगा हो जाता है।</b><br />यह बात तो सही है।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87882463958148119862012-01-12T06:46:50.624+05:302012-01-12T06:46:50.624+05:30संभवतः यही अन्तर हमको खाये जा रहा है।संभवतः यही अन्तर हमको खाये जा रहा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-14371530787823264472012-01-12T05:02:44.073+05:302012-01-12T05:02:44.073+05:30एक कहावत है When money talks, nobody checks the gr...एक कहावत है When money talks, nobody checks the grammer. दक्षिण भारत यात्राओं के दौरान मैंने महसूस किया है कि लेन-देन में मैं ही देनदार होता था और अपने उस अनुभव से कहूं, तो पूरे दक्षिण भारत में शायद ही ऐसा कोई मिला, जिसे हिन्दी न आती हो.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com