tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post3168057866024241436..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: उन्होंने अनुचित का समर्थन कियाविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-78347089900276167992010-04-14T06:49:31.717+05:302010-04-14T06:49:31.717+05:30आप की धाराप्रवाह शैली और विश्लेषण बहुत ही पसंद आता...आप की धाराप्रवाह शैली और विश्लेषण बहुत ही पसंद आता है।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-12699176313325470172010-04-13T08:50:41.399+05:302010-04-13T08:50:41.399+05:30बहुत प्रेरक रहा यह संस्मरण. मेरा अनुभव भी यही है क...बहुत प्रेरक रहा यह संस्मरण. मेरा अनुभव भी यही है कि सत्य के मार्ग पर आने वाली किसी भी अड़चन से बचने के लिए लोग सही (और विनम्र/शालीन को रोकने/टोकने का) सहजमार्ग अपनाकर सत्य का सत्यानाश करते हुए भी अपनी "भले आदमी" की छवि पकड़कर बैठे रहते हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-56524759214575312202010-04-13T07:32:24.320+05:302010-04-13T07:32:24.320+05:30बड़ा बह कर लिखते हैं आप और बहा ले जाते हैं.बड़ा बह कर लिखते हैं आप और बहा ले जाते हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-69251787493983278922010-04-13T06:52:52.400+05:302010-04-13T06:52:52.400+05:30मुझे लगता है कभी कभी अपना और उस का मोह हमें गलत की...मुझे लगता है कभी कभी अपना और उस का मोह हमें गलत की तरफ प्रोत्साहित करता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com