tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post4364084874242334917..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: ब्लॉगवाणी याने शुद्ध सोने के गहने नहीं बनतेविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-34343547370244316692009-10-01T02:02:46.582+05:302009-10-01T02:02:46.582+05:30उसकी प्रगति अर्थ क्या रखती, जिसके नहीं विरोधी?
बह...उसकी प्रगति अर्थ क्या रखती, जिसके नहीं विरोधी?<br /><br />बहुत सटीक फरमाया आपने। ब्लॉगवाणी की विदाई से हममें से अधिकतर ब्लॉगर खुद को अधूरे से महसूस कर रहे थे। बहुत अच्छी पोस्ट। यदि मेरे ब्लॉग को भी अपनी समृद्ध टिप्पणी से नवाजें तो मेहरबानी होगी। यदि आप श्रद्धेय बाल कवि बैरागी परिवार से जुड़े हैं तो दादा को मेरा नमन निवेदित करेंगे।manglamhttps://www.blogger.com/profile/09256454129822743663noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-79673245407560613272009-10-01T00:02:34.762+05:302009-10-01T00:02:34.762+05:30अंत भले का भला:)अंत भले का भला:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-82951932910620570492009-09-30T13:24:28.676+05:302009-09-30T13:24:28.676+05:30सो, सबसे पहले तो ब्लॉगवाणी फिर से शुरु करने के लिए...सो, सबसे पहले तो ब्लॉगवाणी फिर से शुरु करने के लिए धन्यवाद और आभार स्वीकार कर, इस नासमझ के थोड़े कहे को बहुत समझिएगा। और यह भी समझिएगा मेरा यह सब कहा, केवल मेरा नहीं है। मुझ जैसे और भी नासमझ इसमें शामिल हैं।<br /><br />ek nasamajha me bhi shamil hoon....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03051216183260665359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-7047678717295635742009-09-30T10:17:07.594+05:302009-09-30T10:17:07.594+05:30वाह बैरागी जी, जितनी सरल पोस्ट उतनी ही प्रिय लगने ...वाह बैरागी जी, जितनी सरल पोस्ट उतनी ही प्रिय लगने वाली पोस्ट!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-22749370197069017512009-09-30T09:06:16.981+05:302009-09-30T09:06:16.981+05:30सत वचन..सत वचन..रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-74960614808135710412009-09-30T08:55:53.201+05:302009-09-30T08:55:53.201+05:30आपसे तो हम पीठ अपनी
ठुकवायेंगे ही
उसमें ही आनंद आत...आपसे तो हम पीठ अपनी<br />ठुकवायेंगे ही<br />उसमें ही आनंद आता है<br />सारा दर्द कमर का<br />यूं ही छूमंतर हो जाता है<br />जब कोई ज्ञानीजन स्नेह से<br />पीठ हमारी ठोक जाता है<br />उस ठुकन की छाप<br />दिल पर हमारे छप जाती है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-6944580762249945662009-09-30T08:03:06.586+05:302009-09-30T08:03:06.586+05:30लाख टके की बात है. शुद्ध् सोने के गहने नहीं बनते. ...लाख टके की बात है. शुद्ध् सोने के गहने नहीं बनते. लेकिन यह बात खुद सुनार कह दे तो गाहक संतुष्ट हो जाता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-1023619269132265962009-09-30T06:16:34.253+05:302009-09-30T06:16:34.253+05:30बिल्कुल सही कहा:
किस-किस का हम मुँह पकड़ेंगे
-ब्ल...बिल्कुल सही कहा:<br /><br />किस-किस का हम मुँह पकड़ेंगे<br /><br />-ब्लॉगवाणी की वापसी बहुत सुखद रही.<br /><br />मैथली जी और सिरिल जी का बहुत आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com