tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post5195231385171782935..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: आईए! एक उठावना आयोजित कर लेते हैंविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-60157623773828083952012-08-08T20:43:16.454+05:302012-08-08T20:43:16.454+05:30ई-मेल ो प्राप्त, श्री अमित रॉय, वर्धा की टिप्पणी...ई-मेल ो प्राप्त, श्री अमित रॉय, वर्धा की टिप्पणी -<br /><br />वर्तमान समाज में मौजूद सम्वेदनशीलता और सम्वेदनशीलता का बहुत कम समय में बना दिया जाने वाला मनोरंजन दोनों की जानकारी हुई। लगता है मनोरंजन के इतने साधन होने के वावजूद अभी और भी मनोरंजन की आवश्यकता पड़ रही है। दरअसल समाज अब बहुत जल्द बोरियत महसूस करने लगा है। ऐसा क्यों है, पता नही। शायद हम इस पागल दौड का हिस्सा बन गए हैं जहाँ कुछ भी नित्य नही है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-45405912838639585662012-07-09T05:29:15.898+05:302012-07-09T05:29:15.898+05:30यह कार्टून तो इस पोस्ट से कोसों आगे है। उपलब्ध क...यह कार्टून तो इस पोस्ट से कोसों आगे है। उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद अभिषेकजी।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-10215767912207407742012-07-09T05:23:47.193+05:302012-07-09T05:23:47.193+05:30यह सम्मान प्रदान करने के लिए अन्तर्मन से आपका आभ...यह सम्मान प्रदान करने के लिए अन्तर्मन से आपका आभारी हूँ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87386025803638570232012-07-09T04:12:57.733+05:302012-07-09T04:12:57.733+05:30सही लिखा है
एक और कार्टून भी आज पढ़ा जो के कुछ कु...सही लिखा है <br />एक और कार्टून भी आज पढ़ा जो के कुछ कुछ मिलता है <br />http://geekandpoke.typepad.com/.a/6a00d8341d3df553ef0177430d47bb970d-piluckyabhishekhttps://www.blogger.com/profile/06037992570806202609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-22192261238221573062012-07-08T22:33:09.608+05:302012-07-08T22:33:09.608+05:30तय नहीं कर पा रहा हूँ कि उठावने को क्या मानूँ? यह ...तय नहीं कर पा रहा हूँ कि उठावने को क्या मानूँ? यह तो तय है कि यह रस्म अब, मृत्योपरान्त की महत्वपूर्ण उत्तरक्रिया से अलग हटकर, ‘कुछ और’ भी है। कभी यह शोक संतप्त परिवार का ‘प्रतिष्ठा प्रतीक’ (स्टेटस सिम्बॉल) हो सकता है तो बाकी लोगों के लिए यह ‘सामुदायकि मिलन आयोजन’ भी लगने लगता है <br /><br />समाज की अपनी प्रथाएँ .... शोक में भी दिखावा पसंद करते हैं ... विचारणीय लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-44283473424566357872012-07-08T20:28:29.679+05:302012-07-08T20:28:29.679+05:30रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ क...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/101.html" rel="nofollow">रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-77964773083284628832012-07-08T20:23:25.543+05:302012-07-08T20:23:25.543+05:30भाई साहब यह सब सामाजिक आवश्यकताएं ही तो हैं.भाई साहब यह सब सामाजिक आवश्यकताएं ही तो हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-84225039060312232472012-07-08T19:24:00.385+05:302012-07-08T19:24:00.385+05:30एक घटना, दस आदमी, सैकड़ों मन्तव्य..एक घटना, दस आदमी, सैकड़ों मन्तव्य..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-16755158686922295312012-07-08T17:45:20.152+05:302012-07-08T17:45:20.152+05:30'' ‘कचोरी सेवन’ को किसी उठावने की उत्तरक्र...'' ‘कचोरी सेवन’ को किसी उठावने की उत्तरक्रिया का हिस्सा बनते मैंने पहली बार देखा। '' <br />कहा जाता है कि बनारस की कचौड़ी गली का भी यही चलन है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-61962265346285690672012-07-08T12:38:11.896+05:302012-07-08T12:38:11.896+05:30फेस बुक पर श्री हिमांशु राय, भोपाल की टिप्पणी-
...फेस बुक पर श्री हिमांशु राय, भोपाल की टिप्पणी-<br /><br /><br />"एक रस्म का उठावना होते देख धडकनें तेज हो गईं। समझा जा सकता है की किस तरह प्रथा में कब आगे "कु" जुड़ जाता है।"विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-15565843315301886382012-07-08T12:35:34.985+05:302012-07-08T12:35:34.985+05:30फेस बुक पर श्री सुनील ताम्रकार, इन्दौर की टिप्पण...फेस बुक पर श्री सुनील ताम्रकार, इन्दौर की टिप्पणी -<br /><br />"उठावने का सजीव चित्रण। मुर्दा अगर पढ़ ले तो जिन्दा हो जाए।"विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-16903848043861718882012-07-08T09:51:33.841+05:302012-07-08T09:51:33.841+05:30रोचक... आधुनिक वर्तमान की सच्चाई दिखाता आलेख... आभ...रोचक... आधुनिक वर्तमान की सच्चाई दिखाता आलेख... आभारसंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-10524110189407825432012-07-08T09:34:47.083+05:302012-07-08T09:34:47.083+05:30मुझे तो अब इन उठावनों से चिढ़ सी होने लगी है। नतीज...मुझे तो अब इन उठावनों से चिढ़ सी होने लगी है। नतीजा है कि नहीं जाता। उस के बजाए किसी अन्य दिन मृतक के परिजनों से मिलने जाना ठीक लगता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-86825148768947215132012-07-08T09:32:17.809+05:302012-07-08T09:32:17.809+05:30फेस बुक पर श्रीबृजेश कानूनगो, इन्दौर की टिप्पणी ...फेस बुक पर श्रीबृजेश कानूनगो, इन्दौर की टिप्पणी -<br /><br />क्या-क्या न किया हमने सनम 'स्टेटस' के खातिर....विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com