tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post5753761104445079079..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: विष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-73569872091092788652010-07-06T22:44:49.664+05:302010-07-06T22:44:49.664+05:30ये खबर तो अखबारों में मेरी नज़र में भी नहीं आई। दा...ये खबर तो अखबारों में मेरी नज़र में भी नहीं आई। दादा के स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16469390879853303711noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-60163885467355431712010-06-12T13:50:41.585+05:302010-06-12T13:50:41.585+05:30http://pankajvyasratlam.blogspot.com/2010/02/blog-...http://pankajvyasratlam.blogspot.com/2010/02/blog-post.htmlAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03051216183260665359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-63029003639081425772010-06-05T09:14:31.138+05:302010-06-05T09:14:31.138+05:30उलटबांसी ठीक रही. अखबारों का क्षेत्र सिमटने के साथ...उलटबांसी ठीक रही. अखबारों का क्षेत्र सिमटने के साथ-साथ शायद समय के साथ उनकी दृष्टि भी सिमटी है और अब अखबार में भी (अन्य व्यवसायों जैसे) हर खबर का एक अर्थशास्त्र काम करने लगा है. [ब्लॉग जगत में भी उसका एक छोटा रूप यत्र-तत्र दिखता है.]<br />फ्रैक्चर होने और स्टील प्लेट लगने के दर्द को जानता हूँ - मैंने भोगा है. दादा को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ - सादर.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-33587521231448053702010-06-05T07:52:25.614+05:302010-06-05T07:52:25.614+05:30जिस जमाने में मोबाइल न होते थे। दादा एक मित्र को फ...जिस जमाने में मोबाइल न होते थे। दादा एक मित्र को फोन करते रहे मित्र ने नहीं उठाया। जब दोनों मिले तो मित्र बताने लगे कि फोन क्यों नहीं उठा सके। <br />दादा ने परिहास में कहा भाई ये यंत्र अपनी हैसियत बदलता रहता है। कभी घंटी बजती है तो ऐसा लगता है जैसे पिताजी आ गए हों।<br />(इस वार्ता के वक्त मैं स्वयं मौजूद था)दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-74372783209212069412010-06-05T07:46:08.999+05:302010-06-05T07:46:08.999+05:30दुर्घटना में दादा को चोट लगने के बारे में जान कर अ...दुर्घटना में दादा को चोट लगने के बारे में जान कर अच्छा न लगा। निश्चय ही इस आयु में यह कष्टप्रद है। मेरी कामना है वे शीघ्र स्वस्थ हों। <br />हम लोगों ने तो मोबाइल के साथ ये अंतर्जाल का कबूतर पहले ही पाल रखा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com