tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post6662626153531943891..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: इसलिए ‘इन्हें’ नींद नहीं आतीविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-82225320858123319072010-12-31T06:55:30.208+05:302010-12-31T06:55:30.208+05:30बहुत बढ़िया पोस्ट आभार।बहुत बढ़िया पोस्ट आभार।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-27994625024675940962010-12-29T13:18:54.132+05:302010-12-29T13:18:54.132+05:30@ राहुल सिंहजी
आपकी याददाश्त तो पुलिसवालों की तर...@ राहुल सिंहजी<br /><br />आपकी याददाश्त तो पुलिसवालों की तरह खतरनाक है। मुझे लग रहा है कि मुझे आपसे डरना चाहिए।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-68818108975484879072010-12-29T11:29:10.147+05:302010-12-29T11:29:10.147+05:30आज सत्संग करवाने के लिए आभार भाई जी !आज सत्संग करवाने के लिए आभार भाई जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-27806640139223307542010-12-29T11:14:41.436+05:302010-12-29T11:14:41.436+05:30बिलकुल सही.. संतोषम परम सुखम.. भारतीय संस्कृति का ...बिलकुल सही.. संतोषम परम सुखम.. भारतीय संस्कृति का मूल तत्व है.. सब कुछ पा लेने की होड में आज कल लोग बहुत बड़ी-बड़ी चीजें पा ले रहे हैं पर ढेर सारे छोटे-छोटे सुखों से वंचित भी होते जा रहे हैं.. सुकून भरी नींद भी उन्हीं में से एक है......Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-42137934776669577872010-12-29T10:41:23.121+05:302010-12-29T10:41:23.121+05:30बहुत बढ़िया पोस्ट।आभार।बहुत बढ़िया पोस्ट।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-82314854887248988842010-12-29T10:41:17.351+05:302010-12-29T10:41:17.351+05:30बालकवि बैरागी जी की (सन 1972-73 में अकलतरा कवि सम्...बालकवि बैरागी जी की (सन 1972-73 में अकलतरा कवि सम्मेलन में सुनाई गई)पुक्ति याद आ रही है- ''मैं सपने नहीं देखता, क्योंकि मैं बुझ कर नहीं, थक कर सोता हूं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-23070205130362350582010-12-29T07:59:30.978+05:302010-12-29T07:59:30.978+05:30बहुत बुद्धिमत्ता की अभिव्यक्ति है, पहुँचाने का आभा...बहुत बुद्धिमत्ता की अभिव्यक्ति है, पहुँचाने का आभार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com