tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post6824036633461655723..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: मुख्यमन्त्री दंगा कराता हैविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-74342802093229325862008-11-22T11:26:00.000+05:302008-11-22T11:26:00.000+05:30श्री द्वारकाप्रसाद मिश्र जी की बात में बहुत दम है....श्री द्वारकाप्रसाद मिश्र जी की बात में बहुत दम है. आज के हलके मुख्यमंत्री अपनी निरंतर असफलताओं की जिम्मेदारी लेने के बजाय उन्हें क्रिया-प्रतिक्रया के जोड़-घटाने में बांधते रह जाते हैंSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-68773002681621878312008-11-20T20:34:00.000+05:302008-11-20T20:34:00.000+05:30मुख्यमंत्री दंगे कराते हैं ,अगर यह सच्चाई है ,तो इ...मुख्यमंत्री दंगे कराते हैं ,अगर यह सच्चाई है ,तो इनमें कुछ चुनिंदा राज्यों का ही ज़िक्र करने की कुछ खास वजह ...?आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार में सर्वाधिक दंगे हुए । बताने की ज़रुरत नहीं कि इन प्रदेशों में लंबे समय तक किसने राज किया है । राष्ट्रीय एकता परिषद या ऎसे ही किसी संगठन में सत्ता सुख भोग चुके क्या ये बता सकते हैं कि कांग्रेस के दस साल के शासन काल में कितने दंगे हुए ? या दंगे कराने का ठेका कुछ खास दल को ही मिला है । इस तरह की शिगूफ़ेबाज़ी और जुमले उछाल कर भविष्य की सुरक्षा करने की कोशिश को लोग बखूबी ताड जाते हैं । <BR/> बहरहाल , जो भी हो , इस हकीकत को जीवन की संध्याबेला में जगज़ाहिर कर भार मुक्त होने पर वरिष्ठ पत्रकार + नेता + सेक्युलर बुद्धिजीवी को साधुवाद ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-69240096669936209642008-11-20T20:31:00.000+05:302008-11-20T20:31:00.000+05:30दिनेशराय द्विवेदी जी, मैं तो द्वारिका प्रसाद मिश्र...दिनेशराय द्विवेदी जी, मैं तो द्वारिका प्रसाद मिश्र जी से पूरी तरह सहमत हूं. चूंकि वे उस पद पर रहे हैं और उन्हें राजनैतिकों के हथकंडो का पूरी तरह अन्दरूनी अनुभव है. सिर्फ दंगे ही क्यों, हर तरह का भ्रष्टाचार, कफनखसोटी भी तो इन मंत्रियों, संत्रियों, तंत्रियों के नापाक गठजोड़ के बिना कहां संभव है? मैंने द्वारिका प्रसाद मिश्र का कहां विरोध किया है?<BR/><BR/>हो सकता है कि मैं समझने में असफल रहा होंऊ तो आप विस्तृत व्याख्या करके समझाईये. मैं आपका अनुगृहीत होंऊंगा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-11174424297548234882008-11-20T19:33:00.000+05:302008-11-20T19:33:00.000+05:30द्वारका प्रसाद मिश्र की बात सही थी। उन्हों ने उस क...द्वारका प्रसाद मिश्र की बात सही थी। उन्हों ने उस की संक्षिप्त व्याख्या कर भी दी थी। वह यहाँ आप के आलेख में भी है। लेकिन शायद सुरेश जी और देबांग भाई उसे समझ नहीं पाए। उन्हें शायद विस्तृत व्याख्या की आवश्यकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-45541081311039939422008-11-20T11:50:00.000+05:302008-11-20T11:50:00.000+05:30सही कहा है, लेकिन सिर्फ मुख्य मंत्री ही तक मामला स...सही कहा है, लेकिन सिर्फ मुख्य मंत्री ही तक मामला सीमित नहीं है, इसमें मंत्री, विधायक, पार्षद तक सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं.<BR/><BR/>ये लोग दंगा तो कराते ही हैं, सड़कों के बनाने में दलाली खाते हैं, भ्रष्टाचार करते हैं, जातिवाद फैलाते है, हिन्दू मुस्लिम के नाम पर समाज को बांटते हैं. और कांग्रेसी लग्गू भग्गू इसमें सबसे अधिक चटोरे रहे हैं क्योंकि कांग्रेसियों को ही सबसे अधिक इस देश को लूटने का अवसर मिला है. बेचारी जनता तो पिसती ही रही है. आजादी के बाद गोरे तो गये लेकिन कम्बख्त ये तन मन से काले अंग्रेज सत्ता पर सांप की तरह कुंडली मार कर बैठ गये. इस दौरान हर देश ने तरक्की की लेकिन हमें इन सांपनाथों, नागनाथों से मुक्ति नहीं मिली. <BR/><BR/>सत्ताबाज लोगों के साथ सुख भोगने के लिये लेखक, कवि भी साथ लग लेते है और इस तरह से इनको जबर्दस्त जुमले फैंकने के लिये मिल जाते हैं. आपको याद होगा कि कैसे श्रीकान्त वर्मा इन्दिरा के लिये जुमले लिखा करते थे या कैसे जावेद अख्तर ने राजीव के लिये जुमले लिखे थे जैसे रबर के दस्तानों में लोहे का हाथ. द्वारिका प्रसाद मिश्र जी के दौरान, इनसे पहले और इनके बाद रहे मंत्रियों, संत्रियों, तंत्रियों ने खूब इस देश को डसा है.<BR/><BR/>न जाने कब जनता को इन भ्रष्ट राजनेताओं, अवसरवादी पत्रकारों, चाटुकार जुमलेबाजों के गिरोह से मुक्ति मिलेगी!Dr. Devang Mehtahttps://www.blogger.com/profile/11910524223461760278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-89615725102218842612008-11-20T11:31:00.000+05:302008-11-20T11:31:00.000+05:30आप दोनों की बातों का जवाब तो हरदेनियाजी ही दे सकते...आप दोनों की बातों का जवाब तो हरदेनियाजी ही दे सकते हैं । संयोगवश मैं उस पत्रकार वार्ता में उपस्थित था । हरदेनियाजी के 'मुख्यमन्त्री दंगा कराता है' कहने पर जब पत्रकारों ने इस वाक्य को शिवराजसिंह चौहान से जोडना चाहा तो हरदेनियाजी ने तत्काल कहा कि वे समस्त मुख्यमन्त्रियों के लिए कह रहे हैं । अपनी बात में उन्होंने महाराष्ट्र् का उल्लेख भी किया जो मेरी पोस्ट में भी है । लगता है आप दोनों मित्रों ने अतिरिक्त उत्तेजना में महाराष्ट्र् का नाम देखा ही नहीं ।<BR/>श्रीयुत इण्डियनजी से मैं पूरी तरह सहमत हूं । कोई भी जान बडी या छोटी नहीं होती । हत्या तो हत्या ही होती है - वह 1984 का दिल्ली सिख संहार हो या 2002 का गुजरात मुसलमान नर संहार । दोनों समान अपराध हैं । अपराधी कोई भी हो, सजा मिलनी ही चाहिए । <BR/>अकारण आक्रामक होना व्यक्ति को संदिग्ध ही बनाता है ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-18901238200671185292008-11-20T11:02:00.000+05:302008-11-20T11:02:00.000+05:3041 साल में सारी नदियों में काफ़ी पानी बह चुका है, औ...41 साल में सारी नदियों में काफ़ी पानी बह चुका है, और कुछ में पानी बचा ही नहीं है, हरदेनिया जी अभी उसी दौर में जी रहे हैं शायद… क्या उनका मतलब सिर्फ़ हिन्दू-मुस्लिम दंगों से है? अन्य जातीय समस्यायें, आन्दोलन आदि के बारे में शायद मुख्यमंत्री का जोर नहीं चलता होगा… वरना भला कौन सा मुख्यमंत्री है जो अपने राज में दंगे चाहता होगा… हरदेनिया जी का यह सिद्धांत यदि मेरठ, भागलपुर, मलियाना, मालेगाँव, मुम्बई आदि पर लागू किया जाये तो कांग्रेसी मुख्यमंत्री सबसे पहले बेनकाब हो जायेंगे… उनका असली दुख यह है कि दोहरी चालें खेलते-खेलते कांग्रेस अब एक क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह गई है (सिर्फ़ साढ़े तीन राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र, हरियाणा और असम में सरकार है)…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-32181480682397755712008-11-20T09:27:00.000+05:302008-11-20T09:27:00.000+05:30Hardeniaji ne shaayad bilkul theek kaha hai, lekin...Hardeniaji ne shaayad bilkul theek kaha hai, lekin kya kisi ek neta ke maare jaane ke baad saare desh ko dango ki aag mein jhonk dena ka puneet kaam kendra sarkar karwati hai??? Sandarbh : 1984 ke dange, mann ki indiraji ek badi neta thi lekin kya wo itni badi thi ki hazaron logon ko unke naam pe katl kar diya jaye???इंडियनhttps://www.blogger.com/profile/16782550787193451197noreply@blogger.com