tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post7070459573410096115..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: काश! ‘राष्ट्रीय’ नहीं तो ‘नेशनल’ तो हो ही पातेविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-8578878627399776852012-12-03T00:21:48.990+05:302012-12-03T00:21:48.990+05:30खरी बात!खरी बात!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-81196308642296536912012-10-16T20:29:25.935+05:302012-10-16T20:29:25.935+05:30इंटरनेश्नल की बात करके आप तो बहुत दूर चले गए जितने...इंटरनेश्नल की बात करके आप तो बहुत दूर चले गए जितने भी फिल्म,टी.वी जैसे पुरस्कार और सम्मान के होते है उनमे सितारे और तथाकथित कलाकार रोटी तो हिंदी की खाते है अवार्ड लेकर टिपण्णी अंग्रेजी में ही करते हैं इस तरह रोटरी का यह कृत्य कुछ भी नहीं राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-18165773325310337492012-10-16T19:55:50.930+05:302012-10-16T19:55:50.930+05:30होना तो हमें ‘राष्ट्रीय’ चाहिए किन्तु एक क्षण मान ...होना तो हमें ‘राष्ट्रीय’ चाहिए किन्तु एक क्षण मान लूँ कि वैसा नहीं कर पाए। तो, कम से कम ‘नेशनल’ तो हो ही सकते हैं।<br /><br />बहुत कठिन है राष्ट्र की मूल धारा को समझ पाना Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-22325003943520591672012-10-16T08:38:49.085+05:302012-10-16T08:38:49.085+05:30खालिस अंग्रेज..खालिस अंग्रेज..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com