tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post7612994451879001013..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: जोखिम लेने का साहसविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-40074435309268389232011-04-01T22:36:07.745+05:302011-04-01T22:36:07.745+05:30अपना अपना दृष्टिकोण है इसके बारे में।अपना अपना दृष्टिकोण है इसके बारे में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-81938134394178589642011-04-01T14:03:05.325+05:302011-04-01T14:03:05.325+05:30रोचक प्रस्तुति।रोचक प्रस्तुति।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-61590680594899866242011-04-01T12:15:14.084+05:302011-04-01T12:15:14.084+05:30lajawaab - ‘नौकरी करता हूँ, इसलिए रिश्वत लेनी पड़त...lajawaab - ‘नौकरी करता हूँ, इसलिए रिश्वत लेनी पड़ती है। रिश्वत लेने के लिए नौकरी नहीं करता।’Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-63610533545368563172011-04-01T09:33:08.179+05:302011-04-01T09:33:08.179+05:30आपकी और अधिकारीजी की इस सहमती में उनका घूस लेना ला...आपकी और अधिकारीजी की इस सहमती में उनका घूस लेना लाजमी है कि घूस देना गलत नहीं है ।अफ़लातूनhttp://samatavadi.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-49832233134059945402011-04-01T09:27:08.329+05:302011-04-01T09:27:08.329+05:30बहुत अच्छी पोस्ट। तुम पूछो, तुम पूछो वाले लोगों ...बहुत अच्छी पोस्ट। तुम पूछो, तुम पूछो वाले लोगों से हमेशा ही पाला पड़ता है। अरे भाई तुम ही क्यों नहीं पूछ लेते? स्वयं भले बने रहने की चाहत को क्या कहेंगे? या दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने वालों को क्या कहेंगे? वैसे अधिकारीजी का रोल पसन्द आया।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-84614763484989007362011-04-01T08:51:50.153+05:302011-04-01T08:51:50.153+05:30कितने ही लोग ऐसा डर पाले चुपचाप निकल जाते हैं..कम ...कितने ही लोग ऐसा डर पाले चुपचाप निकल जाते हैं..कम से कम प्रसाद जी की भटक तो आपने खोल ही दी.<br /><br />रोचक वृतांत.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-20560074597359032532011-04-01T08:01:01.780+05:302011-04-01T08:01:01.780+05:30सरकारी अमला हो या समाज, चर्चा उन्हीं की ज्यादा ह...सरकारी अमला हो या समाज, चर्चा उन्हीं की ज्यादा होती है, जो धूम मचाते रहते हैं लेकिन ऐसे लोग कम नहीं जिनके दम पर व्यवस्था टिकी रहती है.राहुल सिंहhttp://akaltara.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-47103544729698996112011-04-01T06:19:36.111+05:302011-04-01T06:19:36.111+05:30वैसे तो सारा उपक्रम ही रोचक है मगर सबसे मज़ेदार बा...वैसे तो सारा उपक्रम ही रोचक है मगर सबसे मज़ेदार बात है, "बड़े अफसर हैं। नुकसान तो कर ही सकते हैं।" <br /><br />ऐसे भयातुर लोगों को तो भ्रष्टाचार आदि की बात करने का भी हक़ नहीं है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com