tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post8135753356774599579..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: उत्सव: सरकार के या हमारे?विष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87109085176486273662010-02-13T22:56:32.160+05:302010-02-13T22:56:32.160+05:30सही कहा आपने, हमारी संस्कृति में उत्सव का महत्त्व ...सही कहा आपने, हमारी संस्कृति में उत्सव का महत्त्व है - काम से छुट्टी का नहीं. वैसे भी कई बड़े उत्सवों के दिन छुट्टी होती है जबकि असल आयोजन देर रात में होता है और छुट्टी की ज़रुरत अगले दिन पड़ती है. फिर भी छुट्टी से सुविधा तो हो ही जाती है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-90982599567049625522010-02-13T10:03:50.417+05:302010-02-13T10:03:50.417+05:30ाप बिलकुल सही सोच रहे हैं असल मे कोई तौहार मनाने क...ाप बिलकुल सही सोच रहे हैं असल मे कोई तौहार मनाने के लिये छुट्टी की क्या आवश्यकता है वैसे भी छुट्टी ले कर मौज मस्ती ही की जाती है अब कोई भी तौहार हो केवल मनोरंजन मात्र के लिये ही रह गये हैं उनमे जो भावना है वो तो कब की मर चुकी है<br /> बहुत अच्छी पोस्ट है धन्यवाद और शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87043995782590201392010-02-13T08:14:53.257+05:302010-02-13T08:14:53.257+05:30उत्सव प्रियता की हालत यह है कि पाँच दिन के कार्य स...उत्सव प्रियता की हालत यह है कि पाँच दिन के कार्य सप्ताह में कभी कभी तो दो दिन भी काम होना कठिन हो जाता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com