tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post857795116660843730..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: अन्तिम यात्रा/उठावना/शोक निवारण से पहले चक्का जामविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-25844374181479159192009-08-16T18:25:46.246+05:302009-08-16T18:25:46.246+05:30परिस्थितियाँ बिगड़ी हैं और आक्रोश बाधा है यह तो सच...परिस्थितियाँ बिगड़ी हैं और आक्रोश बाधा है यह तो सच है. मगर न तो गरीबों के संरक्षण के लिए कानून पर्याप्त हैं और न ही परिस्थितियों को हाइजैक कर लेने वाले गुंडा तत्व और नेताओं से बचाव के लिए प्रशासन मुस्तैद है. ऐसे में और क्या उम्मीद राखी जा सकती है, सच तो यह है कि ऐसी परिस्थिति के गरीब मृतकों के लिए हस्पताल और बीमा कंपनियाँ मिलकर किसी समूह-बीमा आदि जैसे हल की शुरूआत कर सकती हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-20256821818916828832009-08-16T12:14:38.332+05:302009-08-16T12:14:38.332+05:30यह सब बढ़ी फीस से उत्पन्न अपेक्षाओं के आधिक्य का मा...यह सब बढ़ी फीस से उत्पन्न अपेक्षाओं के आधिक्य का मामला है। इस तरह का आक्रोश अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा। और जरूरी नहीं कि डाक्टर विलेन और जनता पीड़ित ही हो!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-79896526124055362292009-08-16T09:03:36.481+05:302009-08-16T09:03:36.481+05:30जब डाक्टर के यहाँ फीस के बगैर घुसना असंभव हो जाए। ...जब डाक्टर के यहाँ फीस के बगैर घुसना असंभव हो जाए। सरकारी अस्पताल मे डाक्टर देर तक देखने न आए और परिजन द्वारा फीस देने पर तुरंत हाजिर हो जाए। निजि अस्पतालों के दलाल बहका कर लोगों को अस्पतालों तक लाने लगें तो विश्वास भंग की स्थिति तो बन चुकी है। ऐसे में आक्रोश क्यों न पैदा होगा। अब तो खुद डाक्टरों को ही विश्वास पैदा करने के लिए आगे आना होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com