tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1289371714299251737..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: लोकतन्त्र का नया स्वरूप?विष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-65358413468313759222011-01-14T19:09:25.772+05:302011-01-14T19:09:25.772+05:30ऐसे सुधार जनहितकारी, आवश्यक और अवश्यम्भावी हैं। पर...ऐसे सुधार जनहितकारी, आवश्यक और अवश्यम्भावी हैं। परंतु विकास के पथ में मानवीय पहलूओं को नकारा नहीं जाना चाहिये। याद रहे कि कुछ इंसानों की सुविधा के सुधार अन्य इंसानों की (ईमानदार/न्यायसम्मत) रोज़ी की कीमत पर नहीं हो सकते हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-55740450884107523052011-01-14T08:00:56.373+05:302011-01-14T08:00:56.373+05:30आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढे...आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-89316257798163333222011-01-05T15:15:03.786+05:302011-01-05T15:15:03.786+05:30क्या कहूँ इस पर.....क्या कहूँ इस पर.....Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-40122130165836929442011-01-05T12:09:58.993+05:302011-01-05T12:09:58.993+05:30जन अभिलाषाओं के प्रकटीकरण के स्थान पर नेताओं की मन...जन अभिलाषाओं के प्रकटीकरण के स्थान पर नेताओं की मन-अभिलाषाओं के नग्न स्वरूप का विद्रूप चित्रण रह गया है, लोकतन्त्र।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com