tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post1590466989581069196..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: किसम-किसम के कर्मचारीविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-11620814107331669652012-03-21T22:06:34.098+05:302012-03-21T22:06:34.098+05:30बहुत-बहुत धन्यवाद वल्कल। तुमने मेरी एक तलाश खत्...बहुत-बहुत धन्यवाद वल्कल। तुमने मेरी एक तलाश खत्म कर दी। मैं इस नियम के नाम की तलाश में था।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-88588092891922518562012-03-21T21:54:15.943+05:302012-03-21T21:54:15.943+05:30सही वर्णन ....
शुभकामनायें आपको !सही वर्णन ....<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-25192519942825656922012-03-21T16:51:56.864+05:302012-03-21T16:51:56.864+05:30तीक्ष्ण अवलोकन!!तीक्ष्ण अवलोकन!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-45846117217330707302012-03-21T15:23:45.181+05:302012-03-21T15:23:45.181+05:30पता नहीं पर पहली श्रेणी में आ सकते हैं हम, बैल की ...पता नहीं पर पहली श्रेणी में आ सकते हैं हम, बैल की तरह लगे हुये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-72725955108510472302012-03-21T15:01:11.508+05:302012-03-21T15:01:11.508+05:30ऐसा लगा जैसे किसी कंसल्टिंग रिपोर्ट को व्यंगकार ने...ऐसा लगा जैसे किसी कंसल्टिंग रिपोर्ट को व्यंगकार ने लिखा है. अगर मैं इसे छापूंगा तो शीर्षक दूंगा "Workforce Analysis: Smile Please". एक दम सही आंकलन, मैनेजमेंट की भाषा में इसे पैरीटो सिद्धांत (Pareto Principle) कहा जाता है, इसके अनुसार 'जीवन की/में अधिकांश चीज़े (कार्य, पुरस्कार, उत्पादकता) सामान भाव नहीं बँटी हैं - कुछ का प्रभाव दूसरी चीजों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है' | इसे कुछ ऐसे समझे;<br />- २०% कर्मचारी से ८०% परिणाम प्राप्त होते हैं.<br />- २०% ग्राहकों से ८०% आय प्राप्त होती है<br />- २०% तकनिकी खराबियो के कारण ८०% बार मशीन खराब होती है<br />- २०% खूबियों के कारण ८०% इस्तेमाल होता है<br />यहाँ २०% और ८०% सांकेतिक है और इसका ये मतलब कतई नहीं है की २०%+८०%=१००%, ये २० कभी ३०, ४० और ५० भी हो सकता है और ८० कभी ९० या १०० भी हो सकता है.<br />चार साल पहले एक किताब पढ़ी थी जिसमे लेखक ने समझाया था की हमारे ८०% फ़िज़ूल खर्ची का कारण २०% आदते होती है. उनमे से एक आदत क्रेडिट कार्ड का उपयोग भी थी, लेखक ने लिखा था की 'अपने क्रेडिट कार्ड को काट कर फेंक दीजिये'. हिम्मत करके मैंने अपने तीनो क्रेडिट कार्ड काट कर, जी हाँ काट कर फेक दिए, और तब से ले कर आज तक मेरे पास क्रेडिट कार्ड नहीं है, केवल डेबिट कार्ड है. दो बहुत बड़े फायदे हुवें हैं; पहला, महीने के आखरी दिनों में दोस्तों से उधार बंद हुवा और दूसरा, बजट के अनुसार खर्च की आदत पड़ी.<br />एक और जगह इस नियम को आप देख सकते हैं, जीवन की ८०% खुशियाँ केवल २०% कारणों से होती हैं, या फिर अगर आपका दिन बहुत अच्छा गया हो, जिसे आप कह सके की ८०% दिन काफी अच्छा गया तो पाएंगे की ऐसा दिन भर में घटित हुई केवल २०% घटनाओ के कारण हुवा.वल्कलhttps://www.blogger.com/profile/10916645706304813214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-5836709717119720162012-03-21T14:01:06.171+05:302012-03-21T14:01:06.171+05:30एकदम सही और सटीक आंकलन...एकदम सही और सटीक आंकलन...Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-9405441559252931412012-03-21T12:31:25.946+05:302012-03-21T12:31:25.946+05:30BEAUTIFUL BALANCED AND DEFINED CATAGORY WITH THEIR...BEAUTIFUL BALANCED AND DEFINED CATAGORY WITH THEIR SPECIFIC CHARACTERSTICS.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-51230476543649491112012-03-21T09:53:15.725+05:302012-03-21T09:53:15.725+05:30सार्वजनिक क्षेत्र के दफ्तरों की यही स्थिति है. आपन...सार्वजनिक क्षेत्र के दफ्तरों की यही स्थिति है. आपने स्वयं के अनुभव के आधार पर हम भी सहमत हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-46745873070147181112012-03-21T09:15:25.196+05:302012-03-21T09:15:25.196+05:30संतुलित लेकिन पैनी नजर.संतुलित लेकिन पैनी नजर.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-73817761558434588722012-03-21T04:36:57.810+05:302012-03-21T04:36:57.810+05:30विष्णु जी, मेरी नज़र में सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य वही ह...विष्णु जी, मेरी नज़र में सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य वही होते हैं जिनमें सच के अलावा कुछ न हो, न रंचमात्र अतिश्योक्ति और न ही दाल में नमक के बराबर कड़वाहट, मगर मज़ा भरपूर हो। यह प्रविष्टि ऐसे ही उत्तम व्यंग्य आलेखों में से एक है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरी के दौरान मेरा एक अवलोकन था कि पहले वर्ग के कर्मचारी बाकी दोनों वर्गों को ससम्मान अपने साथ चलाते (और घसीटते व धकियाते) हैं। मगर पूरे विभाग की गति अक्सर उतनी ही होती है जितनी तीसरे वर्ग की जब तक कि उन्हें पूरी तरह अदृश्य न मान लिया जाये। तीसरी श्रेणी में वे भी हैं जिनके दफ़्तर आने का एकमेव उद्देश्य दफ़्तर के फ़ोन से लेकर एसी तक का सदुपयोग करके वहाँ से अपना निजी उद्योग चलाना होता है और यह उद्योग शेयर ब्रोकर, महाजनी, वसूली आदि से लेकर लघु उद्योग तक कुछ भी हो सकता है। आजकल शायद इनमें से कुछ लोग दफ़्तर के समय में कमाई या व्यक्तिगत विकास के उद्देश्य से ब्लॉगिंग भी कर रहे होंगे।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com