tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post2876569034962490830..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: मुनाफा : जिसकी गिनती नहीं की जा सकीविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-17751753451043608622012-05-10T16:58:06.009+05:302012-05-10T16:58:06.009+05:30देखादेखी और अनावश्यक पडी आदतों से अधिकांश को यह गण...देखादेखी और अनावश्यक पडी आदतों से अधिकांश को यह गणना करना ध्यान में ही नहीं आता। मैं भी अपनें व्यापारी मित्रों को यह वास्तविकता दर्शाता हूँ। <br />इनकम टैक्स और सैल्स टैक्स के अफसर भी भले मानुष थे जो इनके रेग्युलराइज प्रयासों का स्वागत किया अन्यथा कौन सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को घर से निकालना चाहेगा? <br />यह भी सच्चाई है कि कई बार इमानदार भी बाध्य हो जाते है। गलत एसेसमेंट कर कह दिया जाता है आप कर लेना अपील। किन्तु लम्बाकाल और पारावार परेशानी देखकर लोग पिंड छुडाते नजर आते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-83057369230933378192012-05-10T15:18:34.711+05:302012-05-10T15:18:34.711+05:30फेस बुक पर श्री सोहन शिव चौहान, रतलाम की टिप्पणी-...फेस बुक पर श्री सोहन शिव चौहान, रतलाम की टिप्पणी-<br /><br />यह बात जल्दी समझ में आ जाने पर छापों में कमी होगी और करोडों इकट्ठा करनेवालों की भी कमी होगी। देश में विकास होगा। कभी न सोचें कि मेरे अकेले ईमानदार होने से क्या होगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-41950127774401811832012-05-01T22:42:03.450+05:302012-05-01T22:42:03.450+05:30बेईमानी के बेस्वादु और समय से पहले पककर बाज़ार में...बेईमानी के बेस्वादु और समय से पहले पककर बाज़ार में आ जाने वाले फलों के कारण हमें इमान के सुस्वादु और तृप्तिकारक फलों के होने पर से भरोसा इस कदर उठ गया हैं की उन्हें काल्पनिक और स्वर्गिक मानते हैं ... हाँ कुछ यूँ ही मेरे अपने व्यक्तिगत अनुभव भी हैं ... पहले मैं यह मानता था की ईमानदार बनकर दूसरों पर एहसान करता हूँ ... पर नहीं अनुभव में यह आया की सबसे ज्यादा एहसान मैंने अपने आप पर ही किया ... खुबसूरत लेख के लिए ह्रदय की तलस्पर्शी गहराइयों से साधुवाद !सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-39645126856474733502012-04-30T20:29:41.479+05:302012-04-30T20:29:41.479+05:30जब बहुसंख्या में लोग ऐसा समझने लगेंगे तो दुनिया बह...जब बहुसंख्या में लोग ऐसा समझने लगेंगे तो दुनिया बहुत कुछ अच्छी लगने लगेगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-5478830616897338692012-04-30T08:56:55.678+05:302012-04-30T08:56:55.678+05:30"मेरा पहुँचना उन्हें बुरा नहीं लगता" यह..."मेरा पहुँचना उन्हें बुरा नहीं लगता" यह भी बहुत बड़ी उपलब्धि ही है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-46755694913011546482012-04-30T08:02:48.066+05:302012-04-30T08:02:48.066+05:30प्रशंसनीय व्यापार का तरीका, काश सब ऐसा समझ लें तो ...प्रशंसनीय व्यापार का तरीका, काश सब ऐसा समझ लें तो जीवन और समाज कितना सरल हो जायेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com