tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post3365704527162011620..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: नौकरी और कामविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-46453230832055952292009-11-06T21:43:56.421+05:302009-11-06T21:43:56.421+05:30१ आदमी ३ का काम तभी कर सकता हैं जब की उसमे अपनी नो...१ आदमी ३ का काम तभी कर सकता हैं जब की उसमे अपनी नोकरी की चिंता हो,एक व्यक्ति जब तक नोकरी मैं स्थायी नहीं होता हैं तब तक कम कररहता हैं लेकिन जब स्थायी हो जाता हैं तो वो आराम करता हैं काम नहीं.सब जॉब सेकुरेटी का मामला हैं.नोकरी मैं सुरक्षा का भाव हममें लापरवाही बड़ा रहा हैंNARENDRA JOSHIhttps://www.blogger.com/profile/04757600885438304029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-4796546540454434702009-11-06T07:25:03.565+05:302009-11-06T07:25:03.565+05:30यही सुमित यदि सरकारी नौकरी में होता तो? तो भी वह इ...<i> यही सुमित यदि सरकारी नौकरी में होता तो? तो भी वह इसी तरह, आधी-आधी रात तक बैठ कर, चार लोगों का काम करता? </i><br /><br />बैरागी जी,<br />सभी सरकारी कर्मियों का तो नहीं पता लेकिन अपने घर की स्थिति बता देते हैं जो तकरीबन १० वर्षों से तो देख ही रहे हैं। सरकारी बैंको में वी आर एस की स्कीम के बाद अधिकारियों की कोई खास भर्ती नहीं की गयीं। लगभग सभी शहरी शाखाओं मे स्टाफ़ की कमी है, ३ तीन अधिकारियों का काम १ के जिम्मे है। इस बार भी घर जाने पर जब कई दिनों तक पिताजी को सुबह ९ बजे से शाम ९:३०/१०:०० बजे तक काम करते देखा तो इस विषय पर बात हुयी। पता चला कि जिस शाखा में ५-६ अधिकारी होने चाहिये वो २ अधिकारियों के भरोसे चल रही है। लिपिक/सहायक लोगों पर बैंक की नौकरी में यूनियन के चलते अधिकारियों का कोई बस नहीं है। पांच बजे कि वो गायब, अब बाकी काम किसी को तो करना होगा।<br /><br />पिताजी कह रहे थे कि लगभग सभी शहरी शाखाओं में जहाँ व्यवसायिक खाते अधिक हैं यही हाल है।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com