tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post3435122348640594898..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: अच्छा है पर अच्छा नहीं लगताविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-30876524412871249312013-03-09T15:22:38.235+05:302013-03-09T15:22:38.235+05:30गूगल पर श्री सुरेशचन्द्रजी करमरकर, रतलाम की टिप्...गूगल पर श्री सुरेशचन्द्रजी करमरकर, रतलाम की टिप्पणी -<br /><br />इसे पढकर ऐसा लगा कि कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें पाखण्ड और नौटंकी और फालतू खर्च अच्छा नहीं लगता। आप उनमें से एक हैं। धीरे-धीरे एक के ग्यारह हो जाऍंगे।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-62167709543020530322013-03-08T10:35:58.197+05:302013-03-08T10:35:58.197+05:30उपहार स्वीकार करना या न लेना आपकी मर्ज़ी किन्तु पर...उपहार स्वीकार करना या न लेना आपकी मर्ज़ी किन्तु परम्परा को बाधित करना आप जैसे विचारवान व्यक्ति का निजी मामला न्यायोचित? संग्रह न करें सुपात्र को मुक्त हस्त विप्र भाव से दान कर दें . यह भी आपके की निजी राय . Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-92082932016880465912013-03-07T19:49:31.406+05:302013-03-07T19:49:31.406+05:30सच है, बहुत समय और अपव्यय बच जाता है।सच है, बहुत समय और अपव्यय बच जाता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-20487949102442057322013-03-07T11:56:18.615+05:302013-03-07T11:56:18.615+05:30आपके जैसी सबकी विचारधारा हो जाए तो देश का नक्शा ही...आपके जैसी सबकी विचारधारा हो जाए तो देश का नक्शा ही बदल जाये । आपके इस निर्णय के लिए आपको साधुवाद । Ravi Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07075773362331619467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-18765789289944880442013-03-07T07:21:56.683+05:302013-03-07T07:21:56.683+05:30मेरे विचार से हमें जीवनोपयोगी पुस्तकें उपहार में द...मेरे विचार से हमें जीवनोपयोगी पुस्तकें उपहार में देकर व्यक्तियों का स्वागत-सम्मान करना चाहिए. वह भी तभी जब वे इसके लिए राजी हों.<br /><br />लेकिन हार-गुलदस्ते बनानेवालों का तो धंधा ही इससे चल रहा है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.com