tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post3803402895623135192..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: पत्रकारिता की बारात का बूढ़ाविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-5458462893337300062010-04-12T13:20:45.217+05:302010-04-12T13:20:45.217+05:30परिचय तो नहीं है प्रकाश जी से लेकिन जिस तरह से आप ...परिचय तो नहीं है प्रकाश जी से लेकिन जिस तरह से आप परिचय करवा रहे हैं तो यही कहूंगा कि प्रकाश जी जैसे लोग हैं तो पत्रकार और पत्रकारिता बची हुई है नही तो मीडियाकर्मी और जर्नलिज्म का ही जोर है।<br /><br />बाकी आपने प्रकाश जी के बहाने "तब" और "अब" का जो फर्क सामने रखा है, बहुत सही है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-40532922820562381712010-04-12T07:16:43.843+05:302010-04-12T07:16:43.843+05:30प्रकाश जी को बधाई देना तो अहमन्यता कहलाएगी। उन के ...प्रकाश जी को बधाई देना तो अहमन्यता कहलाएगी। उन के जैसे लोगों का पत्रकारिता के किसी भी स्तर पर बने रहना हम पाठकों का सौभाग्य ही होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-23693150059668849562010-04-12T07:08:04.816+05:302010-04-12T07:08:04.816+05:30ऐसे प्रकाश जी ही अब एकमात्र सहारा लगते हैं. बढ़िया...ऐसे प्रकाश जी ही अब एकमात्र सहारा लगते हैं. बढ़िया लोककथा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com