tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post4729322101098113776..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: पनघट की कठिन डगरविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-87553555244784552392012-07-11T11:06:35.986+05:302012-07-11T11:06:35.986+05:30फेस बुक पर रमेश चोपडा, बदनावर (धार) की टिप्पणी-
...फेस बुक पर रमेश चोपडा, बदनावर (धार) की टिप्पणी-<br /><br />जोडियाँ तो ऊपरवाला बनाता है। हम तो निमित मात्र हैं। बेटी के भाग्य में लोकल होगा तो आप कुछ कर नहीं पायगे, रतलाम से बहार होगा तो भी आप रोक नहीं पायेंगे। हमारा काम, योग्य वर तलाशना है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-78429723538956233632012-07-11T11:02:40.429+05:302012-07-11T11:02:40.429+05:30निशान्तजी! मुझ पर ध्यान देने के लिए धन्य्वाद।
मे...निशान्तजी! मुझ पर ध्यान देने के लिए धन्य्वाद। <br /><br />मेरी बात पर हँस भले ही लें किन्तु विश्वास करने की कृपा कीजिएगा। <br /><br />ब्लॉग को लेकर मेरा तकनीकी ज्ञान शून्यववत है। इसलिए आपकी बातें मैं बिलकुल ही नहीं समझ पाया। कृपया अपना फोन नम्बर दें और वह समय सूचित करें जब आपसे बात करना आपको सुविधाजनक हो। आप मेरी बेहतरी ही चाह रहे हैं। इस हेतु मैं आपसे व्यक्तिश: परामर्श और निर्देश लूँगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-37030428648200721442012-07-11T10:18:54.089+05:302012-07-11T10:18:54.089+05:30Please take the advice of the girl.What does she w...Please take the advice of the girl.What does she want ? It is her personal but important matter.mahavir vermanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-76633397238855004382012-07-11T09:48:08.024+05:302012-07-11T09:48:08.024+05:30भावुकता की बात करें तो दोनो ही निरे भावुक ही है दो...भावुकता की बात करें तो दोनो ही निरे भावुक ही है दोनों की अपनी छिपी इच्छाएं ही उनके विचारों पर हावी है। पूर्वग्रंथियां है। पिता की महत्वकांक्षा है दामाद को अतितिक्त सम्मान से नहलाना, रिश्तो को अतिशय महिमावान शिखर देकर उसे पालने की आत्मसंतुष्टि अनुभव करना। और माता निकटता को स्नेह की गारंटी मानती है। माता की महत्वकांक्षा है वह दौड दौड कर पुत्री को सहयोग सहायता देती रहे।<br /><br />माता पिता दोनो ही भावुकता से अपनी अपनी संक्लपनाओं के घेरे से बाहर जाकर नहीं सोच पा रहे है, पुत्री की सोच ही उनकी संकल्पना का किसी एक घेरे का वज़न बढ़ा सकती है। अगर पुत्री भी उसी दुविधा में अनिर्णय की अवस्था में हो तो पिता के विचारों का थोडा दृव्यमान घटाया जा सकता है। क्योंकि पिता के चिंतन में पुत्री से अधिक दामाद को प्राथमिकता है। इस एक छोटी सी मनस्थिति के कारण पिता का पक्ष कमजोर माना जा सकता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-88875731995538237462012-07-11T08:53:57.846+05:302012-07-11T08:53:57.846+05:30पहली बात: आप पोस्ट का शीर्षक पोस्ट में ही दे देते ...पहली बात: आप पोस्ट का शीर्षक पोस्ट में ही दे देते हैं. कृपया इसे शीर्षक के लिए निर्धारित खाने में ही लिखें. और शीर्षक के नीचे आपको ब्लौगर प्रोफाइल की हायपरलिंक (विष्णु बैरागी) लगाने की कोई महती आवश्यकता नहीं है.<br />पोस्ट पर: वाकई दुविधा है. मैं पति के साथ हूँ, यदि दूरी मात्र कुछ किलोमीटर की ही हो तो पत्नी को क्या समस्या है? यहाँ दिल्ली में तो २०-२५ किलोमीटर को कोई दूरी ही नहीं मानता.<br />क्या यह लड़की उनकी एकमात्र संतान है?निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-26564648463644620942012-07-11T05:02:05.997+05:302012-07-11T05:02:05.997+05:30एकदम सही कहा, वल्कल!एकदम सही कहा, वल्कल!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-72119877342806740872012-07-11T05:01:33.079+05:302012-07-11T05:01:33.079+05:30मेरा जवाब: गाँव में शादी होनी चाहिये
विस्तृत उत्तर...मेरा जवाब: गाँव में शादी होनी चाहिये<br />विस्तृत उत्तर: बच्चों के विवाह में इकलौता प्रश्न अच्छे परिवार का होना चाहिये। अगर अच्छा रिश्ता गाँव में ही मिल जाता है तो वही ठीक है, बाहर होता है तो वह भी ठीक है। ऐसा भी हो सकता है कि लड़की के पिता के मन के किसी कोने में यह गाँठ हो कि उन्हें दामाद होने का वह सुख नहीं मिला जो गाँव के बाहर शादी होने पर मिलता। लेकिन जब लड़की के माता पिता (दोनों) ने खुद गाँव में शादी की तो फिर पिता अपनी बेटी को इस सुख से वंचित क्यों करना चाहते हैं? दूसरे, गाँव में ही शादी करने से बारात से लेकर आगे के अनेक अवसरों पर मिलने आने जाने का समय-धन आदि की बर्बादी से बचाव तो होगा ही, गाड़ी कम चलेगी तो प्रदूषण में भी कमी आयेगी।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-35883282580822129222012-07-10T21:31:44.403+05:302012-07-10T21:31:44.403+05:30This comment has been removed by the author.सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-66292017324926732342012-07-10T21:28:38.631+05:302012-07-10T21:28:38.631+05:30यहाँ बेटी की ख़ामोशी सुनी जाएँ ...
कोई भी निर्णय ...यहाँ बेटी की ख़ामोशी सुनी जाएँ ...<br /><br />कोई भी निर्णय हो वही सबसे ज्यादा प्रभावित होगी ... <br /><br />बेटी को भी सारी बातें तय करने में भागीदार बनाया जाय ... <br /><br />अगर बेटी अपनी हर इच्छा माता-पिता पर छोड़े तो फिर ... <br /><br />पिता के हक़ में फैसला हो ... पिता के तर्कों में केवल भावुकता का पुट नहीं हैं बल्कि दुर्लभ और व्यवहारिक समझदारी का भी समावेश हैं ... माँ के तर्क निरे भावुक हैं ... और अकाट्य भी नहीं ... ४० - ५० किलोमीटर दूर बेटी अगर ब्याही भी गयी तो कौन - सी बैलगाड़ियों से अब इधर उधर आना जाना होगा ... आजकल के दौर इतनी दुरी तो बस २०-३० मिनिट में नाप जाती हैं .<br /><br />माँ को समझाया जाय की बेटी जरा - सा दूर रहेगी तो ... उसकी गृहस्ती के छोटे-मोटे निर्णय खुद लेना सीखेगी और उसका आत्मविश्वाश भी उत्तरोतर बढेगा ही ... मोबाइल फोन से भी माँ-बेटी जब चाहे बातें कर सकती हैं .<br /><br />अतः माँ की परेशानियों का बहुत कुछ हल मोबाइल फोन और तेज आवागमन के सहारे आसानी से हो सकता हैं .<br /><br />बेटी का मंगल हो !!!सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-41313736283828974512012-07-10T20:45:23.556+05:302012-07-10T20:45:23.556+05:30थोड़ा समय बीतने दें, निर्णय खुद-ब-खुद सामने आएगा.थोड़ा समय बीतने दें, निर्णय खुद-ब-खुद सामने आएगा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-15275836112797756192012-07-10T20:01:53.594+05:302012-07-10T20:01:53.594+05:30http://zaruratakaltara.blogspot.in/2012/05/blog-po...http://zaruratakaltara.blogspot.in/2012/05/blog-post_21.html<br /><br />http://zaruratakaltara.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html<br />विनम्र आग्रह और घर घर की कहानी का <br />लिंक क्रमश दिया गया है कृपया देखने का कष्ट करेगेRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-55596913563152481312012-07-10T19:57:19.201+05:302012-07-10T19:57:19.201+05:30क्या बेटी की राय और चाहत का कोई मूल्य नहीं? आप को ...क्या बेटी की राय और चाहत का कोई मूल्य नहीं? आप को निर्णय देना चाहिए कि बेटी क्या चाहती है? यह जाना जाए। वह भी उस के किसी अन्तरंग मित्र के माध्यम से जिस के सामने वह किसी तरह का कोई दबाव महसूस न करती हो।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-76342032765190163512012-07-10T19:15:22.107+05:302012-07-10T19:15:22.107+05:30भैया जी रिश्ते पास रहकर भी निभाए जा सकते हैं और वि...भैया जी रिश्ते पास रहकर भी निभाए जा सकते हैं और विदेश में रहकर भी ख़राब किये जा सकते हैं .<br />आप उन्हें मेरी दो पोस्ट विनम्र आग्रह और घर घर की कहानी पढ़कर सुना दीजिये शायद उन्हें कुछ <br />राहत मिले . रिश्ते जुड़े फिर मिठास आ ही जाएगी ...Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-63908076976749621662012-07-10T15:12:48.321+05:302012-07-10T15:12:48.321+05:30लड़की की शादी हो रही है या 'विदेश निति' तय...लड़की की शादी हो रही है या 'विदेश निति' तय की जा रही है? क्या ग्यारंटी है की पास वाला घर-बार ही लड़की को सुखी रखेगा और दूर-दराज का दुखी रखेगा. इसका एक दम उलट भी हो सकता है. <br />मान-सम्मान कितना मिलेगा ये तो देर सवेर व्यवहार तय करेगा. <br />मेरे ख्याल से प्राथमिकता केवल और केवल अच्छा वर और परिवार होना चाहिए, इसमें लड़की के सुखमय भविष्य की सम्भावनाये ज्यादा है जो की विवाह का मूल उद्देश्य है. <br />रही बात दूरी की तो ये 'relative term' है, रतलाम का 'दूर' मुंबई का 'पास' हो जाता है. <br />जोर इस बात पर दिया जाए की किया जाने वाला रिश्ता सब को 'साथ' रखे, और अगर ऐसा नहीं होता तो 'पास' 'दूर' हो जायेगा और 'दूर' 'बहुत दूर' हो जायेगा.वल्कलhttps://www.blogger.com/profile/10916645706304813214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-9736731246721972392012-07-10T13:52:29.726+05:302012-07-10T13:52:29.726+05:30आभार आपका आपने एक विचार को महत्व दिया।
फंसाने वाल...आभार आपका आपने एक विचार को महत्व दिया।<br /><br />फंसाने वाली बात तो परिहास में कही थी, क्योंकि समान गुण-दोष वाले निर्णय अबूझ पहेली से होते है और बडे बडे विद्वान भी उलझन में फंस कर रह जाते है। क्योंकि पहेली बेलेन्स्ड थी, किसी एक तरफ किसी तीसरे मान्य वज़न रखने पर ही तोला जा सकता था। इस युक्ति से परिवार का कलह दूर होने की पूरी सम्भावना है किन्तु दोनो में से एक को भी बेटी की परीक्षा न करने दें, या पूछ-ताछ को परीक्षा की तरह न ले।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-53903711217193862102012-07-10T13:41:38.193+05:302012-07-10T13:41:38.193+05:30बड़ा कठिन निर्णय है, सबको एक साथ साधना कठिन है, आप...बड़ा कठिन निर्णय है, सबको एक साथ साधना कठिन है, आप जो भी निर्णय लेंगे अच्छा ही होगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-35325144168749264732012-07-10T13:31:16.433+05:302012-07-10T13:31:16.433+05:30लडकी की मॉं उसी गॉंव की है। बाहर की नहीं। प्रथमदृष...लडकी की मॉं उसी गॉंव की है। बाहर की नहीं। प्रथमदृष्टया, वह सुखी ही है। गृहस्थी के स्तर पर कोई दुख नहीं है उसे।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-90562078271742253182012-07-10T13:17:57.298+05:302012-07-10T13:17:57.298+05:30लड़की की माँ उसी गाव की है या दुसरे गाव की यह नहीं...लड़की की माँ उसी गाव की है या दुसरे गाव की यह नहीं बताया और वह सुखी है की नहीं ?राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-13507420264133116382012-07-10T13:07:37.358+05:302012-07-10T13:07:37.358+05:30सुज्ञजी! आपकी बात न केवल राहत देनेवाली है अपितु व्...सुज्ञजी! आपकी बात न केवल राहत देनेवाली है अपितु व्यावहारिकता के अध्रिक निकट है। जब तक और कोई परामर्श नहीं आता, तब तक तो मैं आपकी ही बात, आपका उल्लेख करते हुए ही, 'उन दोनों' तक पहुँचाऊँगा। जिस तरह से आपने सोचा है, वैसा तो मुझे सूझा भी नहीं। आपको कोटिश: धन्यवाद।<br /><br />और हॉं! न तो 'उन दोनों' ने मुझे फँसाने की नियत से यह सब किया है और न ही मैं किसी के मजे ले रहा हूँ। उस परिवार में सचमुच में कलह छाया हुआ है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-2859395499147941152012-07-10T13:03:40.959+05:302012-07-10T13:03:40.959+05:30आपको बूरी तरह फंसाया गया है, आपकी पीठ पिछे वे दम्प...आपको बूरी तरह फंसाया गया है, आपकी पीठ पिछे वे दम्पति मजे ले रहे होंगे। :)<br />प्रश्न वेताल बनकर सर पर सवार है :)<br /><br />वस्तुतः दोनो चिंतन के अपने अपने गुण-दोष है और परिणाम जो भी हो भविष्य ही निर्धारित करेगा। कईं बातें काल, नियति प्रारब्ध पुरूषार्थ स्वभाव पर ही निर्भर होती है।<br /><br />अब आप भी मजे ले रहे है………<br />मदद करेंगे ना? कहकर :)<br /><br />खैर कह दो कि "बेटी जो चाहे वह करो"<br />यदि वे कहे कि "हमने तो कौन सही है कौन गलत का निर्णय करने को कहा था……?"<br />तो कह देना कि "जो बेटी के विचारों का साथ देगा वह सही :)"सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-74621658654511115402012-07-10T11:40:06.453+05:302012-07-10T11:40:06.453+05:30वैसे दोनों की बातों में दम है परन्तु पिता ज्यादा स...वैसे दोनों की बातों में दम है परन्तु पिता ज्यादा सही लगते हैं. माँ का मोह ही है जो उसे ऐसा सोचने के लिए प्रेरित कर रहा है. आपको कोई समाधान तो स्पष्ट रूप में नहीं दे प् रहा हूँ. देखें आगे आने वाले सुधी लोग क्या कहते हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com