tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post5401439848745922580..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: हमारी चुप्पी ले आई हमें इस मुकाम परविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-65260645218639871642012-07-14T23:54:46.647+05:302012-07-14T23:54:46.647+05:30आपने बिलकुल ठीक कहा अनुरागजी। सच तो यह है कि ऐसे ...आपने बिलकुल ठीक कहा अनुरागजी। सच तो यह है कि ऐसे 'बिगडैल बच्चे' बहुत कम हैं किन्तु चूँकि वे 'प्रभाववाले' या 'पैसेवाले' परिवारों से होते हैं सो उनके हौसले बहुत बुलन्द होते हैं और उन्हें राजकीय संरक्षण तत्काल ही मिल रहा होता है, इसलिए उन पर अंकुश लगा पाना आसान नहीं होता। देखिए न! गुवाहाटी मामले में पहचान होने के बाद भी ग्यारह लोग पुलिस पकड से बाहर हैं - घटना के पॉंचवें दिन तक!विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-37355739836653178742012-07-14T23:36:12.525+05:302012-07-14T23:36:12.525+05:30दुखद सत्य तो ये है की संभवतः अश्वत्थामा तो नहीं ले...दुखद सत्य तो ये है की संभवतः अश्वत्थामा तो नहीं लेकिन dhritrastra और गांधारी अमर ,अस्तित्वमान है ज्यादा हिंसक और क्रूर रूप में प्रत्येक युग मेंराजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-50034182556244979552012-07-14T22:08:20.822+05:302012-07-14T22:08:20.822+05:30आपने बिल्कुल सही कहा, पैकेज हमारे समाज में कैरेक्ट...आपने बिल्कुल सही कहा, पैकेज हमारे समाज में कैरेक्टर से भी बड़ा हो गया है, यह नया वर्ण भेद है जो पैकेज से निर्धारित होता है नई पीढ़ी को इस खतरे के प्रति सचेत करना होगा नहीं तो इसके अंजाम और भी बुरे होंगे।sourabh sharmahttps://www.blogger.com/profile/11437187263808603551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-86146499651991668932012-07-14T19:48:36.379+05:302012-07-14T19:48:36.379+05:30कविता जी, विष्णु जी,
जिन माता-पिताओं में यह साहस ह...कविता जी, विष्णु जी,<br />जिन माता-पिताओं में यह साहस है उनके बच्चे शायद कभी भी ऐसी हरकत करके उन्हें शर्मिन्दा नहीं करेंगे। यह समस्या दूसरी किस्म के (ग़ैर-ज़िम्मेदार) माँ-बाप की समस्या है, जिन्हें सक्षम कानून व्यवस्था और माक़ूल सज़ा की ज़रूरत है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-79595440316939323422012-07-14T19:43:51.439+05:302012-07-14T19:43:51.439+05:30इसकी शुरुआत कुछ इस तरह से की जा सकती है कि गुवाहाट...इसकी शुरुआत कुछ इस तरह से की जा सकती है कि गुवाहाटी काण्ड के नायक युवाओं के माँ-बाप, अपने-अपने बच्चों को पुलिस को सौंपे और कहें - ‘हमारे बच्चों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। अपने बच्चों की इस हरकत के लिए हम भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। हमें भी दण्ड मिलना चाहिए और अपने बच्चों को दण्डित होते देखना हमारे लिए कठोर दण्ड है।’........<br />.काश ऐसा साहस माँ-बाप दिखा पाते ...आज हमारे सामने यही तो सबसे बड़ी बिडम्बना है की माँ-बाप अपने बच्चों की इतना संरक्षण देते हैं की उनके हौसले बुलंद होते हैं उन्हें मालूम होता है की हमारे माँ-बाप हमारा ही पक्ष लेंगे ....<br />आपके सार्थक और गहन चिंतन भरी प्रस्तुति के लिए आपका आभार!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-67199348837316767372012-07-14T18:23:29.428+05:302012-07-14T18:23:29.428+05:30आपकी अधिकांश बातों से सहमत हूँ। लेकिन भारत की समस्...आपकी अधिकांश बातों से सहमत हूँ। लेकिन भारत की समस्याओं के बारे में बात करते समय एक नुक़्ता अक्सर छूट जाता है - वह है प्रशासनिक व्यवस्था का अभाव। जहाँ सारी दुनिया में प्रशासन अपना काम करता है, वहाँ भारत के हर क्षेत्र में इसका पूर्णाभाव दिखता है। अब हर व्यक्ति, हर समय, हर जगह इतना सक्षम तो नहीं हो सकता कि अपनी सुरक्षा स्वयं करता रहे। और अगर आम आदमी यही करता रहेगा तो बाकी क्या करेगा? आर्थिक भ्रष्टाचार हो या यौन अपराध; छेड़छाड़ हो या गाली-गलौज़, धार्मिक दंगे हों या आतंकी गतिविधियाँ, कानून व्यवस्था सुचारु करके इन बातों को वैसे ही नामुमकिन किया जा सकता है जैसे किसी भी सभ्य देश में होता है - फिर हमारे नेता, प्रशासक, शिक्षक, प्रवचनकर्ता और आम जनता इस दिशा में कारगर कदम क्यो नहीं उठाते? ऐसा माहौल क्यों नहीं बनाया जाता है? देश की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी के नाम पर लूटने वाले खुद बुलैटप्रूफ़ गाड़ियों में निकलते हैं, इतना काफ़ी नहीं है, आम जनता को इन्हीं शोहदों के बीच से ग़ुज़रना पड़ता है जिनकी हिम्मत कानून के निकम्मेपन ने कई गुना बढ़ा रखी है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-14889838541517585002012-07-14T10:48:08.135+05:302012-07-14T10:48:08.135+05:30सार्थक पोस्ट ...सार्थक पोस्ट ...सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-67112222783076243722012-07-14T09:32:51.049+05:302012-07-14T09:32:51.049+05:30‘नव कुबेर संस्कृति का प्रभाव’ ... आपने सही जगह नब्...‘नव कुबेर संस्कृति का प्रभाव’ ... आपने सही जगह नब्ज टटोली ... जब जब भी इस तरह के वाकयात हमारे सामने घटे ... विरोध दर्ज करना पहला कदम होगा ... <br /><br />कुछ अरसे पहले एक नारा दिया गया था ... माना राजनैतिक था ... वो था ... " उन्हौने साठ सालों में क्या किया " ... तब मैं सबकों यही कहता की जो जो उनके सामने काम थे शायद उन्हौने प्राथमिकता के आधार पर किये होंगे ... अब जब सम्पन्नता देश में बढ रही हैं तो ... आप जो अब जो जो जरूरी हैं वो विकास करें ... पर इस तरह देश को गुमराह न करें ... या कृतघ्नता के साथ बेवजह का असंतोष तो न फैलाएं ... मेरे पिता निम्न माध्यम वर्ग से रहे ... बहुत कम तनख्वाह पाते थे ... पर हाँ उन्हौने उन हालातों में भी कभी महंगाई को नहीं रोया ... संस्कारों की मज़बूत जमीं के चलते मैं आभारी हूँ की आज भी कभी ये ख्याल नहीं आया की मेरे पिता ने कुछ नहीं किया ... बल्कि गर्व करता हूँ की उन्हौने मेरी शिक्षा का विषम स्थितियों में भी समुचित प्रबंध ही किया .<br /><br />अब बच्चों के कुकर्मों के साथ माँ बाप का नाम सार्वजानिक तौर पर जोड़ने का आपका सुझाव फिर लगता हैं आपके धीरज की तात्कालिक हालातों में डगमगाने सा हैं ... जो बहुत सामान्य हैं ... पर मैं जनता हूँ आपकी पीड़ा गहरी हैं .... और जायज भी ...आपके सरोकार ऊँचे हैं ... <br /><br />फिर भी इस बात को कहाँ दावे के साथ कहा जा सकता हैं की हर समझदार माँ बाप की औलाद सही ही निकलती हैं ... या फिर हमेशा गलत ही रास्तों पर जाती हैं ... हर किसी के पूर्व संस्कारों को बस वर्तमान जन्म में ... थोड़ी सी हवा पानी ही मिलती हैं ... फल तो उसके पूर्व जन्मों के कर्मों और वर्त्तमान कर्मों के सम्मिश्रण के ही आते हैं ... गर कोई समझदारी में थोडा आगे बड़ा तो समझ समझ कर इस जन्म सम्यक कर्म करता हुआ भविष्य संवारने की अपने तई कोशिश करता ही हैं ... और कोई कोई तो इतना नादाँ होता हैं की प्रकाश में जन्म लेकर भी अंधकार की और तेजी से दौड़ने में ही अपनी भलाई समझता हैं . <br /><br />मान भी लें ... माँ बाप की तस्वीर लगा भी देते तो क्या बच्चों के कुकर्म की सजा माँ बाप को देना ... फिर कोई और आगे बढें तो शिक्षकों को देना ... फिर आगे बढकर समाज को देना क्या उचित होगा . ...सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-58671649714782576082012-07-14T09:32:32.355+05:302012-07-14T09:32:32.355+05:30कतईकतईRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-80185966055643870092012-07-14T09:31:15.423+05:302012-07-14T09:31:15.423+05:30आपकी बातों से पूर्ण सहमत ,माँ बाप यदि ऐसा उचित मान...आपकी बातों से पूर्ण सहमत ,माँ बाप यदि ऐसा उचित मानवीय ,अनुकरणीय कदम उठाते हैं तो इतिहास रचा जायेगा किन्तु मेरा दृढ़ विश्वास है कि<br />उनके नपुंसक माँ बाप यह कटाई नहीं करेंगे क्योकि यहाँ उदहारण रखने के चक्कर में वो इतिहास में शामिल हो जायेंगे <br />सुन्दर सार्थक साहसी पोस्ट के लिए सादर नमनRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-83614441674692331022012-07-14T09:26:02.629+05:302012-07-14T09:26:02.629+05:30This comment has been removed by the author.सम्पजन्यhttps://www.blogger.com/profile/07175205962362124688noreply@blogger.com