tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post5571503307436006794..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: ताजमहल और मेरा मनविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-61345410948744948452009-12-16T06:24:24.805+05:302009-12-16T06:24:24.805+05:30विष्णु जी,
आपने ताज नहीं देखा और हमसे आपकी यह खूबस...विष्णु जी,<br />आपने ताज नहीं देखा और हमसे आपकी यह खूबसूरत पोस्ट देखने से छूट गयी. आज पढ़ा और पढ़कर पूरा आनंद लिया. खासकर होटल-परिचारक की प्रतिक्रया पढ़कर खूब हंसी आयी.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-52694188544366949972009-11-13T01:07:34.758+05:302009-11-13T01:07:34.758+05:30यह तो खूब रही पापा !! आपके दिल के हिसाब से आप मे औ...यह तो खूब रही पापा !! आपके दिल के हिसाब से आप मे और मुझ मे केवल कुछ ५-७ साल का फासला रह गया है. आप तब भी ३५ के थे और आज भी ३५ के है. चलो बहुत अच्छा हुवा आप 'देखने' नहीं गए, जो चीज़ महसूस और एहसास करने से जुडी हो उसको केवल देखने से क्या फायदा. ताजमहल को मैंने भी दो बार देखा है, एक जब हम कुछ १५-२० दोस्त साथ गए थे और दूसरी बार जब मे आपकी पुत्रवधू के साथ गया था. पहली बार इमारत देखी थी दूसरी बार इमारत पर लिखी इबादत भी देखी थी. इंशाअल्ला अब की बार कुछ ऐसा करेंगे की आप की मुमताज़ अपने शेह्जादों के साथ आपको ताज महल की रौनक से वाकिफ करवा दे. तब तक के लिए अपने ३५वे साल का आनंद लीजिये.वल्कलhttps://www.blogger.com/profile/10916645706304813214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-10350010376684547322009-11-12T17:38:55.398+05:302009-11-12T17:38:55.398+05:30वाकई, आप का मन ताजमहल हो गया है।
वैसे ऐसी छोटी छोट...वाकई, आप का मन ताजमहल हो गया है।<br />वैसे ऐसी छोटी छोटी जिदें हर इंसान करता है। मैं भी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-36165862981577639742009-11-12T12:40:04.910+05:302009-11-12T12:40:04.910+05:30बहुत सुन्दर संस्मरण है। आप जड नहीं हो रहे आपकी आस्...बहुत सुन्दर संस्मरण है। आप जड नहीं हो रहे आपकी आस्था मे ताज महल जैसी सुन्दरता और प्रेम है । एक पति पत्नि ताज देख कर जैसे ही बाहर निकले दोनो की जम कर लडाई हुई । ये सब केवल देखने भर से क्या होता है देख कर उस मे निहित मर्म को नहीं जाना तो देखने का क्या लाभ। शुभकामनायें । बहुत देर बाद आपके ब्लाग पर आने के लिये क्षना चाहती हूँनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com