tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post5730299463216399267..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: बापू, बारास्ता विजय माल्याविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-7969244855852898972009-03-08T01:12:00.000+05:302009-03-08T01:12:00.000+05:30जो बापू के विचारों ( मद्य-निषेध ) का व...जो बापू के विचारों ( मद्य-निषेध ) का विरोधी हो , वह चाहे जो हो , गांधीवादी नहीं हो सकता .यदि <BR/>किसी भी वर्ष की देश भर के शराब ठेकेदारों की सूची प्रकाशित हो तो बापू के मद्यनिषेध और साधन-<BR/>शुचिता के ढिंढोरचियों / नक़ाबपोशों के चेहरों से गांधीवादी होने का नकाब उतर जाएगा .<BR/> " सच कहता हूँ बापू ! गर तुम आज जिंदा होते ,<BR/> परायों की नहीं , अपनों की निंदा ढोते ,<BR/> भूल जाओ राजघाट पर रामधुन,सांप्रदायिकता झलकती है इसमें ,<BR/> देखकर अपनों की करतूतें , खुद पर शर्मिंदा होते ! "bhairav pharkyahttps://www.blogger.com/profile/08004698343793480561noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-41351141984593454372009-03-07T16:12:00.000+05:302009-03-07T16:12:00.000+05:30भारत में ये स्मृति चिन्ह आये मैं इससे बहुत खुश हूँ...भारत में ये स्मृति चिन्ह आये मैं इससे बहुत खुश हूँ । गांधी जी के विचार के सामने ये वस्तुइं कुछ भी नहीं मैं सहमत हूँ आपसे । शुद्ध अशुद्ध, प्रेम भाई चारा , ईष्या द्वेष इत्यादि विचार गांधी जी ने दिये इन विषयों पर । गांधी जी शराब के विरोधी थे सही है साथ गांधी जी ने ये भी कहा कि आदमी से द्वेष न रखों उसके कर्मों से रखो ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-25516736119985858382009-03-07T11:11:00.000+05:302009-03-07T11:11:00.000+05:30किसी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनके विचारों और भ...किसी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनके विचारों और भावनाओं का कद्र करने से होती हैं ... बापू की इन वस्तुओं का वापस लाया जाना तब अच्छा माना जा सकता था ... जब उन्होने अपने जीवन में इन सब वस्तुओं को महत्व दिया होता ... उन्होने तो खुद कई बार अपनी वस्तुओं को बेचकर उन पैसों से जनता के लिए कल्याणकारी कार्य किए थे ।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-41795682672456928882009-03-07T05:58:00.000+05:302009-03-07T05:58:00.000+05:30खैर, उनसे जुड़ी वस्तुओं की खरीद फरोक्त तो एक नाटक ह...खैर, उनसे जुड़ी वस्तुओं की खरीद फरोक्त तो एक नाटक ही है..सब अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-83139500086060411982009-03-06T23:52:00.000+05:302009-03-06T23:52:00.000+05:30वस्तुओं का महत्व समझने वाले व्यक्ति बापू की वस्तुओ...वस्तुओं का महत्व समझने वाले व्यक्ति बापू की वस्तुओं को खरीद सकते हैं। उन का अनुसरण कर नहीं सकते।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-38309850161090165412009-03-06T23:39:00.000+05:302009-03-06T23:39:00.000+05:30बहुत सही लिखा ,सब नाटक है , नाटक के सिवा कुछ भी नह...बहुत सही लिखा ,सब नाटक है , नाटक के सिवा कुछ भी नहीं ।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-42592924271266126092009-03-06T22:51:00.001+05:302009-03-06T22:51:00.001+05:30आपने बिलकुल सच लिखा , पर सच हमेशा कड़वा होता है बहु...आपने बिलकुल सच लिखा ,<BR/> पर सच हमेशा कड़वा होता है बहुतों का मुंह बिगड़ गया होगा .पर जैसा कि बापू ने कहा हमेशा सच कहो ,आपने कहा -बधाई.आरडीएक्सhttps://www.blogger.com/profile/04031857173448545431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-20242729453571066852009-03-06T22:51:00.000+05:302009-03-06T22:51:00.000+05:30दूसरों की खुशी में ताली पीटने वालों के इस देश में ...दूसरों की खुशी में ताली पीटने वालों के इस देश में हर मौके पर बधावे गाने की कुछ ऎसी प्रथा सी चल पड़ी है कि हर एक बिना सोचे - समझे जयगान में मशगूल हो गया है । गाँधी दर्शन को तिलाँजलि दे चुके देश में इन फ़ूटॆ ठीकरों का क्या काम ...? गाँधी के जीवन दर्शन पर चलकर समाज को बहुत कुछ दे सकने वाले हाशिये पर फ़ेंक दिये गये हैं और गाँधीगीरी का स्वाँग करने वाले संसद के गलियारों में घुसपैठ की जुगत भिड़ाने में लगे हैं । इस देश को ज़िन्दा गाँधी की नहीं उनके प्रतीकों को सहेज कर मन ही मन अपने को धन्य मानने की आदत सी हो गई है । वैसे भी हमें महान आत्माओं का अनुसरण करने की बजाय उनके पुतलों को एक खास दिन झाड़ - पोंछ कर फ़ूलमाला पहनाना ज़्यादा रास आता है । हम भगवान को अपने आचरण अपने अंतःकरण में बिठाने की बनिस्पत चौराहों ,चबूतरों ,मढियाओं ,मंदिरों में सजाकर सारे पाखंड करना पसंद करते हैं । इतने ढोंगों में ये एक धतूरा और सही ...।बापू हम शर्मिंदा हैं अपने नाकारापन पर ,अपने कुकर्म पर । जो गाँधी जीवन भर शराबबंदी का नारा देते रहे ,संघर्ष कर शराबबंदी लागू कराई आज उन्हीं की धरोहर को बचाने के लिए शराब किंग ’ किंग फ़िशर’ के मालिक विजय माल्या का शराब से कमाया पैसा ही काम आया । वाह री सरकार , वाह रे हमारी गाँधी दर्शन की समझ । जय हो ,जय हो ...।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-26623463758912221282009-03-06T22:05:00.000+05:302009-03-06T22:05:00.000+05:30सब साले ढोंगी है, काम किसी का भी इंसानॊ जेसा नही द...सब साले ढोंगी है, काम किसी का भी इंसानॊ जेसा नही दिखाव देवतओ जेसा..... लेकिन अब जनता सब जानती है.<BR/>आप ने बहुत ही सटीक लिखा.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com