tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post6368366273051984761..comments2024-03-22T11:42:48.109+05:30Comments on एकोऽहम्: खादी और लोक विश्वासविष्णु बैरागीhttp://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-18096242178244584832008-08-20T17:50:00.000+05:302008-08-20T17:50:00.000+05:30बहुत खूब! अफ़सोस - कहाँ से कहाँ तक पहुँच गयी बापू क...बहुत खूब! अफ़सोस - कहाँ से कहाँ तक पहुँच गयी बापू की खादी.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6032637659660002131.post-39130022547950973822008-08-20T17:45:00.000+05:302008-08-20T17:45:00.000+05:30आप ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते । आपने खादी जो पहन...<B>आप ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते । आपने खादी जो पहनी हुई है ।</B><BR/>ओह, खादी महिमा से मैं बहुत प्रभावित हुआ। यह तो कालान्तर में खादी को लतगर्द किया हम भारतीयों ने। वर्ना मेरे बचपन तक में बहुत इज्जत थी खादी की। <BR/>साठ के दशक तक खादी बहुत प्रतिष्ठा पाती थी। काश वे दिन वापस आयें!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com