एकोऽहम्
मालवा की सुवास - श्रीनिवास
›
मालवी की मिठास को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में श्री बालकवि बैरागी का अवदान उल्लेखनीय है। साहित्य के दौर में ‘मालवी के मणके’ पिरोते...
स्पष्टीकरण
›
मालवा के एक प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं - श्री मंगल मेहता । मालवांचल और मालवी बोली उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। मालवा और मालवी पर उन्होंने न...
...और अब अश्वगन्धा
›
वाणिज्यिक-औषधीय कृषोपज ‘ अश्वगन्धा ’ को लेकर दादा श्री बालकवि बैरागी का यह लेख, ‘आधारभूत लेख’ की श्रेणी में शामिल किए जाने की पात्रता रख...
1 comment:
दादा की राज्य सभा सदस्यता: राजीवजी का वादा सोनियाजी ने निभाया
›
दादा श्री बालकवि बैरागी देश के उन गिनती के लोगों में शामिल हैं जो तीनों विधायी सदनों (विधान सभा, लोक सभा और राज्य सभा) के सदस्य रहे। विधान स...
1 comment:
जब बैरागीजी को थाने में कविता सुनानी पड़ी
›
बी. एल. पावेचा सन् 1965 में मेरा तबादला, सिविल जज मनासा के पद पर हुआ। तब तक बैरागीजी देश के अच्छे कवि के रूप में स्थापित हो चुके थे और वे मे...
1 comment:
›
Home
View web version