एकोऽहम्

बालकवि की ललकार और महाकवि का मर्म

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श्री बालकवि बैरागी और डॉ. शिव चौरसिया डॉ. विवेक चौरसिया आज दादा श्री बालकवि बैरागी की 94वीं वर्ष-गाँठ है। दादा होते तो आज अपने जीवन के 95वे...

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               महाकाल के महाशय - बालकवि बैरागी पुण्य-स्मृति पण्डित श्री सूर्यनारायणजी व्यास की पुण्य-तिथि ( 22 जून 1999) प्रसंग पर लिखा, दा...

मालवा की सुवास - श्रीनिवास

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मालवी की मिठास को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में  श्री बालकवि बैरागी  का अवदान उल्लेखनीय है। साहित्य के दौर में  ‘मालवी के मणके’  पिरोते...

स्पष्टीकरण

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मालवा के एक प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं - श्री मंगल मेहता । मालवांचल और मालवी बोली उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। मालवा और मालवी पर उन्होंने न...

...और अब अश्वगन्धा

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वाणिज्यिक-औषधीय कृषोपज  ‘ अश्‍वगन्‍धा ’ को लेकर दादा श्री बालकवि बैरागी का यह लेख, ‘आधारभूत लेख’ की श्रेणी में शामिल किए जाने की पात्रता रख...
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विष्णु बैरागी
कुछ भी तो उल्लेखनीय नहीं। एक औसत आदमी जिसे अपने जैसे सड़कछापों की भीड़ में बड़ा आनन्द आता है। ‘मैं अपने घर का स्वामी हूँ लकिन यह कहने के लिए मुझे मेरी पत्नी की अनुमति की आवश्यकता होती है।’ - पूरी तरह अपनी पत्नी पर निर्भर। दो बच्चों का बाप। भारतीय जीवन बीमा निगम का पूर्णकालिक एजेण्ट। इस एजेन्सी के कारण धनपतियों की दुनिया में घूमने के बाद का निष्कर्ष कि पैसे से अधिक गरीब कोई नहीं। पैसा, जो खुद अकेले रहने को अभिशप्त तथा दूसरों को अकेला बनाने में माहिर। मेरा पता - ‘मित्र-धन’, 02 पत्रकार कॉलोनी, पोस्ट बॉक्स नम्बर-19, रतलाम - 457001 (मध्य प्रदेश) मोबाइल नम्बर - 098270 61799
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