श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘ओ अमलतास’ की तीसरी कविता
‘ओ अमलतास’ की तीसरी कविता
यह संग्रह श्री दुष्यन्त कुमार को
समर्पित किया गया है।
समर्पित किया गया है।
एक गीत गा कर तो देखो
बेशक सुर-सरगम न मिला हो।
कितना ही बेसुरा गला हो
तो भी जीवन में कम से कम
एक गीत गा कर तो देखो
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हर महफिल के दो ही रुख हैं, या तो ताली या फिर गाली
इसी सोच में भाई तुमने, यह कैसी सूरत कर डाली?
गाली देने वाले तुमको, जब भी देंगे, गाली देंगे
ऐसी-वैसी कभी न देंगे, बिलकुल नई-निराली देंगे
वे अपना संस्कार न छोड़ें, तुम क्यों छोड़ रहे हो गाना?
सातों सुर खुद सध जायेंगे, महफिल में आकर तो देखो
एक एक गीत गाकर तो देखो
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क्या मौसम है, क्या महफिल है, क्या रौनक है, क्या रंगत है
जुही चमेली की सेजों पर, तितली, भँवरों की संगत है
नजर जहाँ तक भी जाती है, सब कुछ गदराया लगता है
खुशबू ही खुशबू है देखो, मादकता ही मादकता है
पूरी सदी सुगन्ध हुई है, अब किसकी सौगन्ध तुम्हें दूँ
ऐसी मस्ती के आलम में, एक गजब ढा कर तो देखो
एक गीत गाकर तो देखो
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पाल सको तो लय को पालो, क्या कुण्ठाएँ पाल रहे हो!
टाल सको तो चुप्पी टालो, क्या गीतों को टाल रहे हो!
खुद का कोई गीत न हो तो, क्यों मन को छोटा करते हो
मेरे पास बहुत रखे हैं, यूँ क्या रो-रो कर मरते हो!
नदिया, नाले, सागर, सरिता, थाल सजाये न्यौत रहे हैं
और नहीं तो पंछी का ही, कुछ झूठा खाकर तो देखो
एक गीत गाकर तो देखो
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ये मत सोचो कोई आकर, ओठों पर रख देगा सरगम
ये मत सोचो कोई आकर, पोंछेगा आँखों की शबनम
हमदर्दों के इन्तजार में, दर्द, दर्द बस दर्द मिलेगा
सच कहता हूँ जीवन का रथ, दो अंगुल भी नहीं चलेगा
कोलाहल के सर पर चढ़कर, हाँक भरो, कुछ हल्ला बोलो
साँसत की इस शोक सभा में, कुछ राहत पाकर तो देखो
एक गीत गाकर तो देखो
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तुम बस गूँगे ही मर जाओ, इसीलिये वे शोर करेंगे
जब तक साजिश सफल न होगी, शोर बड़ा पुरजोर करेंगे
अर्थी पर चढ़ कर के कल तुम, दोषी मत कहना मन्त्रों को
अब भी यदि खामोश रहे तो स्वीकृति दोगे षड़यत्रों को
मुझ पर यदि विश्वास न हो तो, तिलभर मुझे मलाल नहीं है
उनकी गली के प्रथम मोड़ तक, तुम खुद ही जाकर तो देखो
एक गीत गाकर तो देखो
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संग्रह के ब्यौरे
ओ अमलतास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - किशोर समिति, सागर।
प्रथम संस्करण 1981
आवरण - दीपक परसाई/पंचायती राज मुद्रणालय, उज्जैन
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - दस रुपये
मुद्रण - कोठारी प्रिण्टर्स, उज्जैन।
मुख्य विक्रेता - अनीता प्रकाशन, उज्जैन
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