सरस्वती वन्दना

श्री बालकवि बैरागी के, मालवी कविता संग्रह ‘चटक म्हारा चम्पा’ की पहली कविता

यह संग्रह श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्पित किया गया है।




सरस्वती वन्दना

दो सुख साता म्हारी सुरसत माता
घर घर सुख सम्पत पोंचावों
गीत को चन्दन गीत को वन्दन
गीत को दिवलो गीत की बाती
गीत को गजरो गीत को नेवज
थाल सजई लाया म्हारा संगाती
निर्धन चाकर ने गीताँ ती
पग धोवा को हुकम हुणावो
 
दो सुख साता म्हारी सुरसत माता

छन्‍द न्‍ही जाणू, बन्द नही जाणू
सुर की महिमा न्‍ही जाणी
न्‍ही जाणूँ कतरा मोती है
कतरो दूध है कतरो पाणी?
राज पँखेरू हंसा कन ती
जामण म्हारो न्‍याव करावो

दो सुख साता म्हारी सुरसत माता

मेरो भरो व्यों तरसा को
दुनियाँ तरसी बैठी है
तरसा तीरे आया जामण
फेर काँ अमरत छेटी है
वीणा का दो बोल हुणई ने
जगदम्‍बा या तरस बुझावो

दो सुख साता म्हारी सुरसत माता

हगरा के, के लछमी माँ ती
था रे राड़ चली अईरी 
अणी बले थारा जाया ती
लछमी माता रीसई री
करपण जग को  भरम मिटावा
लछमीजी ने लारे लावो

दो सुख साता म्हारी सुरसत माता

विद्या को दो दान धराणी
शरणो लेईल्यो है थारो
ज्ञान का चन्दर-भाग उगाओ
मेटी दो यो अन्‍‍धारो
हिरदे बिराजो, घट-घट बैठो
 सब ने हाँचो पंथ वतावो

दो सुख साता म्हारी सुरसत माता
 
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‘चटक म्हारा चम्पा’ की दूसरी कविता ‘चम्पा ती’ यहाँ पढ़िए


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संग्रह के ब्यौरे 
चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।

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