मातृ वन्दना

 
श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह
‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की पहली कविता

यह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।




मातृ वन्दना

माँ! तेरे कोटिक अभिनन्दन,
अगम-अनूपा, विविध-सरूपा, पय प्रदात्री माँ तू
तम-निवारिणी, सद्-विचारिणी, क्रान्तिधात्री माँ तू
विमला, अमला, सरला, सबला, यश-विपुला,
वरदा माँ! वन्दन

माँ! तेरे कोटिक अभिनन्दन
आदि शक्ति माँ! आदि भक्ति माँ! संस्कृति पोषक माँ!
आदि भवानी! जय कल्याणी! शिव उद्घोषक माँ!
सौम्य-सुगाता,  सुमति-सुदाता, युगवाणी,
सुखदा माँ! वन्दन

माँ! तेरे कोटिक अभिनन्दन
शुभा-विभा माँ! दिव्य-प्रभा माँ! अमि-निर्झरिणी तू
जीवन दात्री! शान्ति प्रदात्री! मुक्त विचरिणी तू
अजरा, अजया, अपरा, अभया, जग जननी
शुभदा माँ! वन्दन
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जूझ रहा है हिन्दुस्तान
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मालव लोक साहित्य परिषद्, उज्जैन (म. प्र.)
प्रथम संस्करण 1963.  2100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन (म. प्र.)




कविता संग्रह ‘दरद दीवानी’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी। 
 
कविता संग्रह ‘गौरव गीत’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

मालवी कविता संग्रह  ‘चटक म्हारा चम्पा’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

कविता संग्रह ‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

कविता संग्रह  ‘वंशज का वक्तव्य’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।

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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।


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