.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ।
नेहरू की नहीं मानी, पर वक्त की मानो
फिर थामो तिरंगा
फिर थामो तिरंगा
शिकवों को दफन करके, परिवार में आओ
वीराना न हो जाये, गुलजार में आओ
गैरों की गली-कूचों की, खाक न छानो
नेहरू की नहीं मानी, पर वक्त की मानो
फिर थामो तिरंगा.....
ये घर है तुम्हारा, आँगन है तुम्हारा
तुम जैसे सयानों को, काफी है इशारा
कुछ फिक्र करो घर की, यूँ अपनी न तानो
नेहरू की नहीं मानी, पर वक्त की मानो
फिर थामो तिरंगा.....
तूफानों के तेवर से लो, आँख मिलाओ
तुम ही हो नाखुदा, कश्ती को बचाओ
समझो रे हकीकत को, सोचो रे सयानों
नेहरू की नहीं मानी, पर वक्त की मानो
फिर थामो तिरंगा.....
ये वक्त है, आ जाओ, एहसान तुम्हारा
छुड़वाये गुमाँ तुमसे, भगवान तुम्हारा
माँ फिर न पुकारेगी, आगे तुम्हीं जानो
नेहरू की नहीं मानी, पर वक्त की मानो
फिर थामो तिरंगा.....
‘गौरव गीत’ - भूमिका, सन्देश, कवि-कथन, जानकारियाँ यहाँ पढ़िए।
‘गौरव गीत’ का बाईसवाँ गीत ‘विविध भारती’ यहाँ पढ़िए
‘गौरव गीत’ का चौबीसवाँ गीत ‘यह प्यारा दिन’ यहाँ पढ़िए
‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।
‘वंशज का वक्तव्य’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिल
‘दरद दीवानी’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.)
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.