थोड़ो दीजो रे पसीनो

 


श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह

‘अई जावो मैदान में’ की इक्कीसवीं कविता


यह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।




थोड़ो दीजो रे पसीनो

आँबा अमड़ी मोरिया ने फूली लाल कनेर
काची कली गुलाब की ली भँवरा ने घेर
अलसी का फुलड़ा झर्या अजमां की गन्नाट
कूँपर की कसणा कसी ई फागणिया का ठाठ
अणी ठाठ का हाट में भटकण हारा बीर
हुणजे थारो कवि कहे मायड़ली की पीर

ऐ थोड़ो दीजो रे
थोड़ो दीजो रे पसीनो माँगे मायड़ली
थोड़ो दीजो रे

कतरई जुग में माँ मुसकई है
खून दीदो जद या ऋतु अई है
देखो झरी न्हीं पड़े पाछी
आँखड़ली
थोड़ो दीजो रे

अरियाँ गरियाँ फागण आयो
हर फुलड़ा पर रूप सवायो
देखो मुरझावे कोन्ही कोई
पाँखड़ली
थोड़ो दीजो रे

कोई हिमगिरि के होड़े होड़े
फुल बगिया की वागड़ तोड़े
देखो नमी न्हीं जावे रे मूँछाँ
बाँकड़ली
थोड़ो दीजो रे

भूखी तरसी बैठी धरती
श्रम साजन को नाम सुमरती
मँहगा मोतीड़ा से भर दो रे
माँगड़ली
थोड़ो दीजो रे

सायर सिग सपूताँ जागो
मेहनत की दुकड़्यो अई लागो
देखो लाज न्ही जावे रे माँ की
काँखड़ली
थोड़ो दीजो रे
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संग्रह के ब्यौरे
अई जावो मैदान में (मालवी कविता संग्रह) 
कवि - बालकवि बेरागी
प्रकाशक - कालिदास निगम, कालिदास प्रकाशन, 
निगम-निकुंज, 38/1, यन्त्र महल मार्ग, उज्जन (म. प्र.) 45600
प्रथम संस्करण - पूर्णिमा, 986
मूल्य रू 15/- ( पन्द्रह रुपया)
आवरण - डॉ. विष्णु भटनागर
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मुद्रक - राजेश प्रिन्टर्स, 4, हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन





यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।





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