जामण हेला पाड़े रे

 

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्र

‘अई जावो मैदान में’ की दूसरी कविता

यह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।




जामण हेला पाड़े रे

भारत माँ का सिंध सपूताँ, सायर, सुगणा, शूराँ रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे

हाथ-हथेरी माथा लेई ने, आजादी थी लेई आया
हाकम बदल्या, हुकम बदल्या, थाँका नेजा लहराया
थाँका नेजा के रेटे दुनिया, मीठी नींदाँ काड़े रे
हेला पाड़े ओ जामण थाने, जामण हेला पाडे़ रे

ऊँचो थाँको हाथ हमेसा, दुनिया में रे ऽ तो आयो
औढरदानी आखा जग में, जो देसड़लो यो केवायो
ऊ अन्दाता झोर्याँ माँडी ने, आज अंगोछा फाड़ रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेछा पाड़े रे

आजादी ती कोल कर्या था, राजी-बाजी राखाँगा
कड़वा, मीठा, तूरा, खाटा, हिलमिल ने फल चाखाँगा
वचनाँ ऊपर मरवा वारा, यूँ कई वात वगाड़े रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे

मन्दर, मज्जत, गौतम, गिरजा, मरजी वे जो पूजो रे
(पण) वाजे जुझारु वाजा जद तो, हगरा लारे जूझो रे
कंगाली ने कूण मुछारो, पेलाँ आज पछाड़े रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे

डूँगर खोदो ने समदर होदो, नाचण नद्याँ ने रोको रे
करलो रे श्रम ती सोबत-मोबत, नीट मिल्यो यो मौको रे
आजादी का वाग वगीचा, यो आलस आज उजाड़े रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे

खेताँ में नहराँ की अमरत लहराँ, लाला आज पोंचई दो रे
दूध के बदले मायड़ ने सब, आज पसीनो देई दो रे
पसीना में रोप्या चोपा, भला कूण उपाड़े रे
हेला पाड़े ओ जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे

एर्या-गेर्या तेड़े तो थी, नवरा नाच वतावो रे
नार बुलावे नखरारी तो, आधी राते जावो रे
जामण हेला पाड़े तो बेटा, जाग्या भी नींदाँ काड़े रे
हेला पाड़े रे जामण थाने, जामण हेला पाड़े रे
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संग्रह के ब्यौरे
अई जावो मैदान में (मालवी कविता संग्रह) 
कवि - बालकवि बेरागी
प्रकाशक - कालिदास निगम, कालिदास प्रकाशन, 
निगम-निकुंज, 38/1, यन्त्र महल मार्ग, उज्जन (म. प्र.) 45600
प्रथम संस्करण - पूर्णिमा, 986
मूल्य रू 15/- ( पन्द्रह रुपया)
आवरण - डॉ. विष्णु भटनागर
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मुद्रक - राजेश प्रिन्टर्स, 4, हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन






यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती।  रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।






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