श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘शीलवती आग’ की सातवीं कविता
‘शीलवती आग’ की सातवीं कविता
नीम बोला
नीम की फुनगियों तक
हरीकच्च हरियाली
उस पर जब नजर डाली
तो आँखों को चुभ गईं
बैसाख की बेसाख्तगी!
जलाल सूरज का
जलवा किरनों का।
तब भी नीम कहे कि
हरियाता रहूँगा
लाख मन हो जाए कडुवा
पर रोहिणी की छाती पर गाता रहूँगा।
कोयलों के घोंसलों में चाहे पलें कौओं के अण्डे
पर ये विघन ये वितण्डे
रोक नहीं सकेंगे मेरे फूलों को
मेरी निंबौरियों को
आषाढ़ की अलगनी पर फैले सावन
और सावन के झूलों पर झूलते
छोरों को, छोरियों को।
रग-रग, रेशे-रेशे, रत्ती-रत्ती, पत्ती-पत्ती
में बेशक भर जाए कड़वाहट
पर इस सुआपंखी. हरियाली पर मैं क्या
मेरे दुश्मन तक मर गये हैं
देखो न
मेरी छाँह में बैठे एक किसान से
अभी-अभी कुछ बादल
बरसने का वादा कर गये हैं।
जब तक पूरे नहीं होंगे वे वादे
तब तक यह हरापन सम्हालूँगा
आषाढ़ एक बार बरस भर जाए
फिर तो मैं अपना काम
कैसे भी चला लूँगा।
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संग्रह के ब्यौरे
शीलवती आग (कविता संग्रह)
कवि: बालकवि बैरागी
प्रकाशक: राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर, मोतिया पार्क, भोपाल (म.प्र.)
प्रथम संस्करण: नवम्बर 1980
कॉपीराइट: लेखक
मूल्य: पच्चीस रुपये
मुद्रक: सम्मेलन मुद्रणालय, प्रयाग
यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।
रूना के पास उपलब्ध, ‘शीलवती आग’ की प्रति के कुछ पन्ने गायब थे। संग्रह अधूरा था। कृपावन्त राधेश्यामजी शर्मा ने गुम पन्ने उपलब्ध करा कर यह अधूरापन दूर किया। राधेश्यामजी, दादा श्री बालकवि बैरागी के परम् प्रशंसक हैं। वे नीमच के शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्याख्याता हैं। उनका पता एलआईजी 64, इन्दिरा नगर, नीमच-458441 तथा मोबाइल नम्बर 88891 27214 है।
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