श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘ओ अमलतास’ की चौथी कविता
‘ओ अमलतास’ की चौथी कविता
यह संग्रह श्री दुष्यन्त कुमार को
समर्पित किया गया है।
समर्पित किया गया है।
मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के, इस कोलाहल भरे सफर में
मुझसे जो भी भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
तेरे सरवर, तेरे पोखर, तेरे नाले, तेरी सरिता
मेरी कंकरिया खाकर भी, देते रहे हमेशा कविता
तेरी चन्दन सी माटी को, मैंने अपने पैरों रौंदा
फिर भी तूने हर उमर में, सौंपा मुझको नया घरौंदा
दाई से अँगनाई तक के
हर अपमानित पुण्य प्रहर में
मुझसे जो भी भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के
000
मंजरियों को मसला मैंने, लूटी मैंने हर अमराई
हर कोंपल को ऐसा नोचा, धोखा खा गई हर चतुराई
तितली की तनतोड़ प्यास के, मैंने झूठे सरगम गाये
भँवरों के दिल जला-जला कर, कलियों को कंगन पहनाए
ये आरोप सभी झूठे हैं,
फिर भी इस नादान उमर में
मुझसे जो भी भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के
000
प्यार दिया हर एक दिशा ने, खुला मुझे हर द्वार मिला है
बाँहों का बौराया आँगन, मुझको लाखों बार मिला है
मनुहारों के मान महल में, चुम्बन की शैया पर सोया
वैसे तो क्या तेरे बल पर, सपनों में भी कभी न रोया
लेकिन फिर भी भूले भटके
आँसू की अनजान लहर में
मुझसे जो भी भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के
000
गली-गली में गाया मैंने, जो भी गाया सुर में गाया
सुनने मुझको वातायन में, हर गवाक्ष का यौवन आया
लाखों ललचाये अधरों ने मांगे मुझसे गीत रसीले
अपलक मुझको रहे देखते, चरण-चरण पर नैन नशीले
निष्कलंक था हर कटाक्ष पर
काजल के कमनीय जहर में
मुझसे जो भी भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के
000
हर सूरज को अर्ध्य दिया है, हर चन्दा को नमन किया है
हर तारे को फिर मिलने का, मैंने मन से वचन दिया है
आशीषों का आँचल माँगा मैंने, पूज्य पिता-माता से
तेरा आँगन फिर माँगा है, मैंने अपने निर्माता से
नष्ट नीड़ सा स्पष्ट रहा हूँ
फिर भी तेरी छिपी नजर में
मुझसे कोई भूल हुई हो, मेरे नगर क्षमा कर देना
मातृगर्भ से मरघट तक के
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संग्रह के ब्यौरे
ओ अमलतास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - किशोर समिति, सागर।
प्रथम संस्करण 1981
आवरण - दीपक परसाई/पंचायती राज मुद्रणालय, उज्जैन
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - दस रुपये
मुद्रण - कोठारी प्रिण्टर्स, उज्जैन।
मुख्य विक्रेता - अनीता प्रकाशन, उज्जैन
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