यह संग्रह श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्पित किया गया है।
लेवा पधार्या
भावज काले हाँझ काँँ, तवे निकार्या दाँत
और चली चिंतारणी म्हने पाछली रात
गरद उड़ी री गोयरे घुँघरा की रणकार
दीखे म्हाने आवताँँ, सेजाँ का सिणगार
भाभी आँगणाँ में जाओ, ढोल्यो ढारजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
म्हारी सखियाँ से गाराँ गवावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायवा
घरबार लीपो, माँडो माँडणा
आया हठीला थाँके पामणा
उजरा-उजरा व्ही, चोखा रँधावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
भाभी आंगणां में जाओ
जीमें तो लाजाँ मरे पीवजी
भूखा नही रेई जा म्हारा जीव जी
म्हारा वीरा ने साथे जिमावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
भाभी आँगणाँ में जाओ
खेत और खरा पर करे राज व्ही
भाभी थाक्या तका वेगा आज व्ही
घी घर को ही व्हाने खवावजो
आज लेबा पधार्या म्हारा सायबा
भाभी आँगणाँ में जाओ
म्हूँ लेवाने आयो, यूँ केगा कोन्हीं
व्ही दो दन ढबेगा, फैर रेगा कोन्ही
म्हारा वीरा ने याद देवावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
आाभी आँगणाँ में जाओ
मेंहदी लगावो म्हारे, माथो नव्हाओ
नावण बुलाई म्हारे, रकड़ी गुँथाओ
म्हारा चुड़ला के चूँपाँ जड़ावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
भाभी आगणाँ में जाओ
आज मेड़ी में दिवलो लगावो दरी
म्हारा वीरा की आदत वतावो दरी
चाँद डूबे ने म्हाने जगावजो
आज लेवा पधार्या म्हारा सायबा
भाभी आँगणाँ में जाओ
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चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन
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