श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘आलोक का अट्टहास’ की चौदहवीं कविता
‘आलोक का अट्टहास’ की चौदहवीं कविता
पर्यावरण प्रार्थना
कितने क्रूर हैं हम
पेड़, पशु, पहाड़
और पानी के प्रति?
कितने निर्मम हैं हम
पत्नी और पुत्र-पुत्रियों
की जिन्दगानी के प्रति?
पेड़, पशु, पहाड़
और पानी के प्रति?
कितने निर्मम हैं हम
पत्नी और पुत्र-पुत्रियों
की जिन्दगानी के प्रति?
हे पेड़ों! पशुओं! पहाड़ों!
पत्नियों! पुत्रों! पुत्रियों!
और पानी-प्रासादों!
हमें क्षमा करो।
हमें शक्ति दो कि
पर्यावरण का ‘प’
हमसे सध सके
हमारी पागल पशुता
किसी निश्छल निर्मलता
के खूँटे से बँध सके।
इसी ‘प’ के पहाड़े में
एक और ‘प’ है पर्यावरण का
जिसकी साधना से जुड़ा है
सवाल हमारे जीवन-मरण का।
हे परमात्मा के ‘प’!
हमें क्षमा करो
हमारी क्रूरता और
निर्लज्ज निर्ममता के लिए
दण्ड का कोई नया प्रावधान करो
हमारी प्रार्थना के ‘प’ की
आत्मग्लानि को समझो
और पश्चात्ताप के ‘प’ का
सम्मान करो।
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संग्रह के ब्यौरे
आलोक का अट्टहास (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - सत्साहित्य प्रकाशन,
205-बी, चावड़ी बाजार,
दिल्ली-110006
सर्वाधिकार - सुरक्षित
संस्करण - प्रथम 2003
मूल्य - एक सौ पच्चीस रुपये
मुद्रक - नरुला प्रिण्टर्स, दिल्ली
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