श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
‘गाओ बच्चों’ का चौथा बाल गीत
गाँधी-गीत
‘गाओ बच्चों’ का चौथा बाल गीत
गाँधी-गीत
सत्य, अहिंसा, समता, ममता, न्याय, दया, बलिदान
रामराज्य की शुचि परिभाषा, जन-जन का कल्याण
समा गये सब एक वचन में, गाँधी जिसका नाम
राष्ट्र के बापू तुझे प्रणाम
हमारे बापू तुझे प्रणाम,
सत्य, अहिंसा.....।।
रामराज्य की शुचि परिभाषा, जन-जन का कल्याण
समा गये सब एक वचन में, गाँधी जिसका नाम
राष्ट्र के बापू तुझे प्रणाम
हमारे बापू तुझे प्रणाम,
सत्य, अहिंसा.....।।
-1-
कैसे कटते माँ के बन्धन, कैसे मिट्ते युग के क्रन्दन
कौन यहा करता करुणा से मानवता का मृदु अभिनन्दन
पुण्य नहीं फलता पुतली का क्या होता परिणाम?
राष्ट्र के बापू तुझे प्रणाम
हमारे बापू तुझे प्रणाम
सत्य, अहिंसा.....।।
-2-
कौन यहाँ सुनता दीनों की विष को कौन पचाता?
अँधियारों के रनिवासों में किरणें कौन नचाता?
पूरब कैसे उजला रहता हो-हो कर बदनाम
राष्ट्र के बापू तुझे प्रणाम
हमारे बापू तुझे प्रणाम
सत्य, अहिंसा.....।।
-3-
प्राण दिये हैं तूने हमको दी है मीठी बानी
और दिया है भाई-चारा, सत्य दिया बलिदानी
तेरा पंथ नहीं छोड़ेंगे अब हम आठों याम
राष्ट्र के बापू तुझे प्रणाम
हमारे बापू तुझे प्रणाम
सत्य, अहिंसा.....।।
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संग्रह के ब्यौरे
गाओ बच्चों: बाल-गीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर
पटना, भोपाल, लखनऊ-226018
चित्रकार: कांजीलाल एवं गोपेश्वर, वाराणसी
कवर: चड्ढा चित्रकार, दिल्ली
संस्करण: प्रथम 26 जनवरी 1984
मूल्य: रू पाँच रुपये पच्चास पैसे
मुद्रक: देश सेवा प्रेस
10, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद
बाल-गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।
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