बाल-गीत : आओ लड़ें अकाल से



श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
‘गाओ बच्चों’ का तीसरा बाल गीत 




आओ, लड़ें अकाल से

आओ लड़ें अकाल से
शस्य श्यामला पट नहीं जाये
मानव के कंकाल से
आओ लड़ें अकाल से।

सुजला सुफला माँ के बेटे
सोते हैं फिर भूखे
पेट पीठ से सटा हुआ है
सपने तक हैं रूखे
लव-कुश कैसे करें गुजारा
तरू की सूखी छाल से
आओ लड़ें अकाल से।

बड़े भाग से तरुणाई पर जिम्मेदारी आई
अभी नहीं जो आगे आये वह कैसी तरुणाई
सच पूछो तो महायुद्ध है
ऋतु की क्रूर कुचाल से
आओ लड़ें अकाल से।

जब तक खेत नहीं हरियायें मेघ नहीं दे पानी
तब तक लगती रहे दाँव पर पानीदार जवानी
नये सिरे से परिचय हो फिर
सरवर, पोखर, ताल से
आओ लड़ें अकाल से।
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संग्रह के ब्यौरे 
गाओ बच्चों: बाल-गीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर 
पटना, भोपाल, लखनऊ-226018
चित्रकार: कांजीलाल एवं गोपेश्वर, वाराणसी
कवर: चड्ढा चित्रकार, दिल्ली
संस्करण: प्रथम  26 जनवरी 1984
मूल्य:  पाँच रुपये पच्चास पैसे
मुद्रक: देश सेवा प्रेस
10, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद



बाल-गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।


 





















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