तुम्हारे लोक स्वीकृत नाम ‘बाबा रामदेव’ के गगन भेदी जयकारों से व्याप्त कोलाहल के कारण यदि तुम खुद ही अपना वास्तविक नाम भूल चुके हो तो कोई आश्चर्य नहीं। यह स्वाभाविक है। ऐसा होता है। लेकिन आदमी जब वास्तविकता को विस्मृत कर दे तो उसका पराभव शुरु हो जाता है। मुझे यही डर लग रहा है और इसीलिए मैं तुम्हें वास्तविक नाम से और ‘तू-तड़ाक’ से सम्बोधित कर रहा हूँ ताकि तुम चौंको, असहज (और खिन्न, कुपित भी) होकर मेरी ओर देखो और मेरी बात सुनो।
तुम्हारे अतीत को खँगालना मेरा अभीष्ट कदापि नहीं। मैं भली प्रकार जानता हूँ कि हम अतीत की मरम्मत नहीं कर सकते। इसीलिए अपने वर्तमान को बेहतर बनाने के प्रयास करते हुए बेहतरीन भविष्य की बुनावट की जुगत में भिड़ा रहता हूँ। मैं यह भी भली प्रकार जानता हूँ कि मेरा नियन्त्रण केवल प्रयत्नों तक और मुझ तक ही सीमित है। परिणामों पर मेरा कोई नियन्त्रण नहीं है और खूब जानता हूँ कि दुनिया तो दूर रही, मेरी उत्त्मार्द्ध पर भी मेरा नियन्त्रण नहीं है। यदि वह मेरी कोई बात मान लेती है तो यह उसके संस्कार और सौजन्य ही है। ऐसे में मैं यह भ्रम बिलकुल ही नहीं पाल रहा हूँ कि तुम मेरी बात सुनोगे ही और मेरे चाहे अनुसार काम भी करोगे ही, यद्यपि मैं चाहता ऐसा ही हूँ। सो, अपनी बात कह पाना मेरे नियन्त्रण में है और मैं वही कर रहा हूँ। आगे, ईश्वरेच्छा बलीयसि।
गाँधी और जे. पी. (लोकनायक बाबू जय प्रकाश नारायण) के बाद तुम पहले आदमी हो जिसके पीछे भारत के लोग आँख मूँदकर चलने को तैयार हैं। अपनी आदर्शभरी बातों से तुमने जन मानस में आशाओं, आकांक्षाओं, अपेक्षाओं का ज्वार पैदा कर दिया है। हर किसी को लगने लगा है कि देश की समस्त समस्याओं को नहीं तो कम से कम देश को खोखला कर रहे भ्रष्टाचार को तो तुम समाप्त कर ही दोगे। तुम कर भी सकते हो। किन्तु मैं हतप्रभ और निराश हो रहा हूँ यह देखकर कि जिस रास्ते पर तुम चल पड़े हो उसका अन्तिम मुकाम सुनिश्चित असफलता है।
यह सच है कि संसदीय लोकतन्त्र के चलते केवल राजनीति के औजार से ही सारे बदलाव लाए जा सकते हैं। किन्तु इसके लिए ‘राजनीतिक’ होना जरूरी है, ‘राजनीतिज्ञ’ होना नहीं। मेरी सुनिश्चित धारणा है कि जब तक देश के तमाम लोग ‘राजनीतिक’ नहीं होंगे तब तक हमें हमारे संकटों से मुक्ति नहीं मिल सकती। किन्तु खेद है कि हमारे राजनीतिज्ञों के दुराचरण के चलते लोगों ने ‘राजनीति’ को ही दुराचारी मान लिया है और इसीलिए वे राजनीतिज्ञों को गालियाँ देने के साथ ही साथ को राजनीति को घिनौनी, हेय, और अस्पृश्य मान बैठे हैं। यह ठीक नहीं है।
इस देश में जन नेता तो कई हुए किन्तु लोक नेता दो ही हुए - पहले महात्मा गाँधी और दूसरे जे. पी.। दोनों ने वृत्तियों का विरोध किया था, व्यक्तियों का नहीं। ये दोनों ही ‘राजनीतिक’ थे, ‘राजनीतिज्ञ’ नहीं। गाँधी अंग्रेजों से नहीं, उनकी साम्राज्यवादी और उपनिवेशवादी मानसिकता से असहमत थे। इसीलिए असंख्य अंग्रेज भी ‘साम्राज्ञी’ के प्रति निष्ठावान रहते हुए भी गाँधी के समर्थक थे। इसी सुस्पष्ट और व्यापक चिन्तन के कारण ही अंसख्य काँग्रेसियों ने जे. पी. की आवाज में आवाज मिलाई और जेलों में रहे।
लेकिन लग रहा है कि तुम जाने-अनजाने ‘राजनीतिज्ञ’ बन रहे हो। साफ-साफ समझ लो, ‘राजनीतिज्ञ’ बनोगे तो ‘राम किशन यादव’ बन जाओगे और ‘राजनीतिक’ बनोगे तो न केवल ‘बाबा रामदेव’ बने रहोगे अपितु देश के इतिहास पुरुष भी बन जाओगे।
जो समाज अपने संकटों के लिए भाग्य और भगवान की दुहाइयाँ देता हो, वहाँ क्रान्ति नहीं आ सकती। वहाँ तो केवल अवतारों की प्रतीक्षा होती है। मैं तुममें अवतार देख रहा हूँ। लेकिन या तो तुम्हारा धैर्य चुक गया है या 'राम किशन यादव' की बुद्धि ने 'बाबा रामदेव' के विवेक को ढँक दिया है या फिर तुम भी एक बहुत ही सामान्य व्यक्ति की तरह पैसे और प्रसिद्धि को पचाने में विफल हो गए हो। तुम्हारे लिए भले ही यह हानिकारक हो या न हो, देश के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
तुम पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं। और तो और, जो भाजपा आज तुम्हारे साथ खड़ी है, उसी के सांसद और पूर्व केन्द्रीय मन्त्री, हरिद्वार स्थित परमार्थ निकेतन के मुख्य ट्रस्टी स्वामी चिन्मयानन्द तुम्हें ‘आय कर चोर’ घोषित कर चुके हैं। अखबारी खबरों को सच मानें तो उत्त्राखण्ड के (भाजपाई) मुख्यमन्त्री निश्शंक पोखरियाल तुमसे मिल कर, राजनीति से दूर रहने का ‘अनुरोध’ कर चुके हैं। वामपंथी सांसद वृन्दा करात तुम पर श्रमिकों का शोषण करने और तुम्हारे कारखानों में बननेवाली दवाइयों में हड्डियाँ मिलने का आरोप लगा चुकी है। काँग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह तो मानो तुम्हारे जन्मना शत्रु ही हो गए हैं। यह सब इसलिए है क्योंकि कहीं न कहीं तुम और तुम्हारा अभियान पटरी से उतर रहा है और तुम अपने कन्धे दूसरों के लिए उपलब्ध कराते नजर आ रहे हो।
याद रखो कि लोग बोलते भले ही न हों किन्तु वे सब जानते हैं। लोगों को याद है कि 2008 में तुमने खुद ही कहा था कि तुम्हारा (तकनीकी भाषा में ‘तुम्हारे ट्रस्ट का’) कारोबार जल्दी एक लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। लोगों की जबानें भले ही बन्द हैं किन्तु आँखों में सवाल है कि 2003 में, अपने सखा बालकृष्ण के साथ, कनखल में तीन कमरों में मरीजांे का उपचार करनेवाले बाबा रामदेव ने मात्र आठ वर्षों मे करोड़ों का साम्राज्य कैसे स्थापित कर लिया? लोगों की चुप्पी में यह सवाल भी गूँज रहा है कि अपने संस्थानों के प्रबन्धन के लिए तुम्हें यादव नामधारी अपने नाते-रिश्तेदारों, भाई-भतीजों पर ही विश्वास क्यों है? ये तो गिनती की कुछ ही बातें हैं। भाई लोग अपनीवाली पर आ गए तो तुम्हारी सात पीढ़ियों की जन्म कुण्डली जग जाहिर कर देंगे और तुम्हें राम किशन यादव बनाकर ही दम लेंगे।
तुम्हें दो सूचनाएँ दे रहा हूँ। पहली सूचना यह है कि इन्दौर, भापाल, ग्वालियर और जबलपुर से प्रकाशित हो रहे एक अखबार ने कल एक सवाल पूछा था - ‘क्या रामदेव काले धन के खिलाफ अपनी मुहिम मे कामयाब होंगे?’ मैं आशा कर रहा था कि इसके उत्त्र में कम से कम नब्बे प्रतिशत लोग ‘हाँ’ कहेंगे। किन्तु मुझे निराश होना पड़ा। केवल 56 प्रतिशत लोगों ने ‘हाँ’ कहा। दूसरी सूचना यह है कि मेरे अंचल में उत्त्म स्वामी नामके एक सन्त का आना-जाना बना रहता है। उनके अनुयायियों में दिन-प्रति-दिन वृद्धि हो रही है। कल वे मेरे कस्बे में थे। पत्रकारों ने उनसे तुम्हारे बारे में पूछा तो उत्त्म स्वामी ने कहा - ‘बाबा रामदेव पर राजनीति के भाव जाग गए हैं।’ तीन लाख से भी कम की आबादीवाले मेरे कस्बे में बैठे हुए जब तुम्हारे बारे में इतनी और ऐसी जानकारियाँ उपलब्ध हैं और ऐसे मन्तव्य सामने आ रहे हैं तो मुझे कष्ट हो रहा है। क्योंकि मैं चाहता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना भी कर रहा हूँ कि तुम और तुम्हारा अभियान सफल हो।
मेरी सुनिश्चित धारणा है कि मँहगे चुनाव ही भ्रष्टाचार की गंगोत्री हैं। चुनावों के वर्तमान स्वरूप में किसी भले, ईमानदार और गरीब आदमी का जीतना तो कोसों दूर की बात रही, उसका उम्मीदवार बनना भी सम्भव नहीं रह गया है। इसलिए तुम यदि सचमुच में भ्रष्टाचार पर प्रहार करना चाहते हो तो अपना पूरा ध्यान चुनाव सुधारों पर केन्द्रित करने पर विचार करो। मतपत्र और मतदान मशीन पर, उम्मीदवारों की सूची के अन्त में ‘इनमें से कोई नहीं’ वाला प्रावधान कराओ। आज अधिकांश लोग केवल इसलिए वोट नहीं देते क्योंकि उन्हें एक भी उम्मीदवार पसन्द नहीं। उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार यदि लोगों को मिलेगा तो न केवल लोग वोट देने आएँगे बल्कि लुच्चों, लफंगों, चोरों, उचक्कों, अपराधियों को उम्मीदवार बनाने से पार्टियाँ भी डरेंगी। यह प्रावधान कराओं कि यदि कोई निर्वाचित आदमी अपने पद से त्याग पत्र देता है तो या तो उसके बाद सर्वाधिक वोट हासिल करनेवाले को विजयी घोषित किया जाए या फिर उप चुनाव का खर्च, त्यागपत्र देनेवाले से या उसकी पार्टी से वसूला जाए। चुनाव आयोग ने बरसों से कई सुझाव सरकार को दे रखे हैं। सरकार से वे सुझाव मनवाने के लिए अपने चुम्बकीय व्यक्तित्व का उपयोग करो।
27 फरवरी की तुम्हारी रैली में उमड़े जन सैलाब को, मुम्बई महा नगर पालिका के पूर्व आयुक्त जी. के. खैरनार ने भी सम्बोधित किया था। उनकी बातों पर ध्यान दो। भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकना बहुत ही आसान है किन्तु वैसी ही भ्रष्ट सरकार फिर से न बने, यह सुनिश्चत व्यवस्था करना बहुत कठिन है। यह कठिन काम ही अपने जिम्मे लो।
हम सब पर कृपा करो और याद रखो कि लोग ‘बाबा रामदेव’ के आह्वान पर सड़कों पर उतर रहे हैं, 'राम किशन यादव' के आह्वान पर नहीं। राम किशन यादव की महत्वाकांक्षाओं को बाबा रामदेव के विवेक से नियन्त्रित करो। ईश्वर तुम्हें युग पुरुष बनने का अवसर दे रहा है। यदि तुम चूके तो दोष ईश्वर का नहीं होगा। यह तुम्हारा दोष होगा और हम सबका, इस देश का दुर्भाग्य होगा।
लगे हाथों यह भी जान लो कि मैं तुम्हारा प्रशिक्षित योग अध्यापक हूँ और तुम्हारे सिखाए योग की कुछ क्रियाओं से खुद हो स्वस्थ बनाए रखने का नियमित जतन करता हूँ।
थोड़े लिखे को बहुत मानना और मेरी बातों का बुरा जरूर मानना।
तुम्हारा,
विष्णु बैरागी
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आपकी बीमा जिज्ञासाओं/समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने हेतु मैं प्रस्तुत हूँ। यदि अपनी जिज्ञासा/समस्या को सार्वजनिक न करना चाहें तो मुझे bairagivishnu@gmail.com पर मेल कर दें। आप चाहेंगे तो आपकी पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाएगी। यदि पालिसी नम्बर देंगे तो अधिकाधिक सुनिश्चित समाधान प्रस्तुत करने में सहायता मिलेगी।
यदि कोई कृपालु इस सामग्री का उपयोग करें तो कृपया इस ब्लाग का सन्दर्भ अवश्य दें। यदि कोई इसे मुद्रित स्वरूप प्रदान करें तो कृपया सम्बन्धित प्रकाशन की एक प्रति मुझे अवश्य भेजें। मेरा पता है - विष्णु बैरागी, पोस्ट बाक्स नम्बर - 19, रतलाम (मध्य प्रदेश) 457001.
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ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट , जिसे शायद ही लोग समझ पायें ! शुभकामनायें !!
ReplyDeleteबुरा मानने वाली बातें तो कर ही रहे आप, वो बुरा मानेंगे ही :-)
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही आप ने ओर अति सुंदर राय भी, धन्यवाद
ReplyDeleteI am going use this link in RSS community in ORKUT >>>>>
ReplyDeleteइन मामलों ऐसा ही तटस्थ और बौद्धिक विश्लेषण जरूरी होता है, लेकिन होता कम ही, कभी-कभार ही है.
ReplyDeleteAbey tu to pagal ho gaya hai apna blog famous karne ke liye Swami Ramdevji ka naam use kar raha hai. Lagta hai digvijay aaya tha tere ghar pe.
ReplyDeleteबैरागी जी,
ReplyDeleteमैं रामदेव जी के व्यापारिक वृत्ति का विरोधी हूं और योग शिक्षा के दौरान अपने उत्पादों के प्रचार की निंदा करता हूं। परंतु यह तो मुझे भी ज्ञात ज्ञात नहीं था कि रामदेव जी यादव हैं। आपकी खोजी वृत्ति को नमन करता हूं। यादव नाम से बहुतों को चिढ़ है। राजनीति में तो खासा विरोध है। इन्हें यादव जाति से जोड़कर आपने क्या संदेश दिया है यह तो आपही जानते हैं कि आपके मन में क्या है? क्या यादव होने के कारण रामदेव के अनुसरणकर्ता कम हो जाएंगे या राजनाति में सक्रिय किसी पार्टी विशेष के अनुराग के कारण उनके भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा यह स्पष्ट नहीं है। ‘राजनीतिज्ञ’ बनोगे तो ‘राम किशन यादव’ बन जाओगे बेहद छिछला और जातिवाद पक्षपाती टिप्पणी है। आप रामदेव के प्रति सचेत कर रहे हैं या यादव जाति के विरुद्ध कोई मुहिम चला रहे हैं। यदि आप किसी छोटे व्यक्ति को भी आप शब्द से संबोधित करते हैं तो आप अपने प्रति सम्मान की सीढ़ी तैयार करते हैं जिससे उर्ध्वमुखी होते प्रतीत होते हैं। परंतु जब तू तड़ाक से संबोधिस करते हैं तो उसी सीढ़ी को अधोमुखी कर देते हैं। दोनों ही स्थितियों में आपके ही व्यक्तित्व का उद्घाटन होता है। विपक्षी पर तो बाद मे ध्यान जाता है। इस मामले मैं अमिताभ बच्चन और शाहरूख खाँ को आमने सामने रखता हूं तो अमिताभ को सबसे ऊपर पाता हूं। मैंने किसी भी मंच पर उन्हें अपने छोटे को भी तुम कहते नहीं सुना है। फिर भी आप परिपक्व हैं। क्योंकि एऽकोत्वम् द्वितीयो नास्ति।
देशहित की बात करने वालों को राह मिले।
ReplyDeleteबैरागी जी..क्या ऊल जुलूल, व विरोधाभासी बात कह रहे हो....गान्धी/ जेपी का उदाहरण आपने दिया.....क्या गान्धी, जे पी राजनीति में नहीं थे, उन्होने तो राजनीति से ही स्वय्ं को उठाया...क्या वे राजनीति में आकर कर्मचन्द व जयप्रकाश नहीं रहे....
ReplyDelete---अमिताभ बच्चन व शाहरुख , राम देव की तुलना में १% भी नही..एक दम मूर्खतापूर्ण बात है.. और राय भी....कहां नाचने गाने वाले व कहां योग गुरु....नाचने गाने वाले फ़िल्मी लोग सदा चेहरे पर एक मुखौटा लगाये रहते हैं उनकी क्या औकात जो राम देव से तो क्या सादा व्यक्ति से भी तुलना के योग्य नहीं हैं.....
रामदेव का धंधा बहुत बढ़िया चला. १५०० करोड कि संपत्ति खड़ी करना आसान बात नहीं. क्या हुआ अगर इस बीच १०-५ हत्याये करनी पड़ी.सभी कारोबारी करते हैं, उन्होंने भी किया. पैसा इतना आ गया है तो स्टंट तो कुछ चाहिए ही न. जहाँ तक राजनीती की बात है, रामदेव १ प्रतिशत वोट भी पा जाएँ तो बहुत है. नौटंकी करने और बदलाव लेन में खासा फर्क है. आपका व्यंग बहुत सटीक है.
ReplyDeleteआदरणीय बैरागी जी,
ReplyDeleteएक बार फिर आपकी पोस्ट पढ़ कर मन अति खिन्न हो गया ये क्या तो भी लिख रहे है आप कहीं रामदेवजी का साथ भाजपा दे रही है यही बात तो आपको खटक नही रही है . आप कुछ भी कहे पर आपकी अनेक पोस्ट को देखने के बाद ये यकीन हो चला है कि आपका कॉंग्रेस के प्रति विशेष प्रेम है तभी तो राहुल गाँधी वाली पोस्ट पर सही बात लिखने वाले बेचारे अनाम व्यक्ति कि ऐसी टेसी करने मे तो अपने अशलीलता और बहूदे पन की सारी हद पार कर दी लिखना तो मैं तब भी चाहता था पर मेरी भी हालत उस अनाम भाई की तरह गोबर मे पत्थर फेंकने जैसी ना हो जाए इस डर से चुप रहना ही ठीक समझा . आपकी हालत उस ताथाकथित बुद्धजीवी जैसी है जिसके आसपास कुछ मूर्खो का जमावड़ा होता है जो बस हर बात मे हां मे हां मिलाते रहते है और आपको लगता है की बस आप ही सही है बाक़ी सब मूर्ख. प्रभु अनॅनिमस बनने का अर्थ पहचान छुपाना नही अपितु यह होता है की हम आपकी तरह नियमित ब्लागर नही है बस ऐसे ही आकस्मात आपके ब्लॉग पर आने का सौभाग्या (दुर्भाग्या) प्राप्ता हो गया. महोदय उम्मीद तो आपसे थी की राहुल गाँधी के बारे मे सच आप लिखते पर आप भी बाकी कॉंग्रेस्सियो की तारा सोनिया जी और उनकी संतानो के अंध भक्त निकले. सच कहने का साहस आप मे भी नही है तभी तो राहुल का सच लिखने पर आप को इतनी चुभन हुई. मुझे तो लगता है की कायर और नपुंसक आप है वह अनाम भाई नही.
Dear Anonymous,
ReplyDeleteYou are absolutely right. It has always been a tendency of these congressmen that whenever somebody speaks truth about them or their "Mother Sonia" they always have the same dialouge - "ye BJP aur samprdayik takto ki sajish hai " they don't even want to understand the fact. This time it's too much. Sir don't you have the courage to write something about this corrupt congress government. I think you don't know that what Your ex CM Mr. Digvijaysing has done to your Madhyapradesh. You write about cyrrent CM but I know u will never write about Diggi Raja.
Shame on You.
Dear Bairagi ji,
ReplyDeleteAgar yehi anonymous ji apka favour lete to apni pehchan chupane ke liye itni gaali nahi khate. sahi hai bhai apni ninda kise acchi lagti hai chahe woh sahi hi kyon na ho. Anonymous to pehle bhi kai aye honge par iski galti yahi thi ki isne apki haan me haan nahi milayi. ise bhi yahi kahna tha ki wah bhai bahut badiya kya umda lekh likha hai. Sahi hai na ?
जब मनमोहन जैसा निखट्टू आदमी (नहीं कठपुतली) दोबारा प्रधानमंत्री बन सकता है तो बाबा रामदेव क्यों नहीं ? भले ही इसके लिए उन्हें फिर से रामकिशन यादव क्यों न बनना पड़े . कम से कम हम एक विदेशी महिला के अप्रतक्ष शासन से तो मुक्त होंगे. आखिर बाबा रामदेव प्रधानमंत्री बनने के सपने के साथ ही तो राजनीति में पदार्पण कर रहे हैं .
ReplyDeleteदुबारा-तिबारा पढ़ रहा हूं, अभी मन नहीं भरा, लंबे समय बाद ऐसी पोस्ट पढ़ने को मिली.
ReplyDelete@ Satyendra Ji's comment......क्या हुआ अगर इस बीच १०-५ हत्याये करनी पड़ी.सभी कारोबारी करते हैं.......
ReplyDeleteकितना आसान है कारोबारियों को हत्यारा करार देना... कारोबारी अपना कारोबार हत्याएं करने और करवाने के लिए ही तो शुरू करता है और अपना और अपने बच्चों के पेट थोड़े ही न पालने हैं और साथ ही कारोबारी शातिर भी कितना होता है, हत्याएं करता / करवाता रहता है और सजा भी नहीं पाता .... वाह रे आज के समाज की कारोबारियों के प्रति धारणा ....
राहुल सिंग जी वाहह बहुत ही उम्दा टिप्पणी . आप कहे तो इस पोस्ट को आपके बच्चो के पाठ्यक्रम मे शामिल कर दे. आप शायद वही है जिनके बारे मे उपर अनॅनिमस जी ने लिखा है -
ReplyDeleteताथाकथित बुद्धजीवी, आसपास कुछ मूर्खो का जमावड़ा, हर बात मे हां मे हां आदि इत्यादि.
इस विषय पर जो नकारात्मक टिप्पणियां आ रही हैं , लगता है उनके लेखकों ने इस लेख को ठीक से नहीं पढ़ा है. कृपया लेख को दुबारा पढ़ें व निष्पक्ष भाव से पुनर्विचार करें तो आप पाएंगे की कितना सटीक व आवश्यक लिखा गया है.
ReplyDeleteअगर व्यंग्य को पाठक नहीं समझ पायें तो शायद लेखक के लिखने में कोई ना कोई कमी रह गई है शायद!
ReplyDeleteबाबा के अर्थशास्त्र से वही सहमत हो सकता है जिसे अर्थशास्त्र के बारे में पता नहीं.
ReplyDelete...और बाबा का सौभाग्य देखिये कि बहुमत इन्हीं का है :)
ReplyDeleteरामदेव जी स्टण्ट हो सकते हैं। पर यह जरूर है कि वर्तमान दशा से जी घिन्ना गया है और विकल्प की आशा की जा रही है।
ReplyDeletetotal bakvas , lekhak sathiya gaye hai kya . santo ka niradar hamari parampara nahi hai, yah bhi sikhana padega is umar main...... ye kya ho gaya hai hamare lekhankon ko ...... kam se kam bhasha ke star par to sabhya bane rahen ya yahi hamari saccahi hai... pata nahi ishvar aapko sadbuddhi de ... aaj se aapki post padhna band ..... sorry .. inka star (level) ghatia ho gaya hai .... maaf karen prabhu aapki jai ho....... babaji bilkul sach ujagar kar rahe hai ... baki faisla janta ko lena hai ..jo legi hi . baba ramdev desi vikileaks hai.. vaqt aane par sabki pol khulegi .. chinta na karen ...
ReplyDeletebahut assan hai anoymous bankar gali dana.par samay ne ye sabit kiya hai bairagiji ke aap he ramdev ke sache subhcintak hai.wo samay rahte apki bat pad lete ya man late to unki assi bhad nahi pitati bahut badiya lekh danyavad vivek raj singh akalatra
ReplyDeletebahut assan hai anoymous bankar gali dana.par samay ne ye sabit kiya hai bairagiji ke aap he ramdev ke sache subhcintak hai.wo samay rahte apki bat pad lete ya man late to unki assi bhad nahi pitati bahut badiya lekh danyavad vivek raj singh akalatra
ReplyDeleteJO JITNA KADVA HAI VO UTNA HI SACH HAI...........
ReplyDeleteJO JITNA KADVA HAI VO UTNA HI SACH HAI...........
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