तीसरा विकल्प

 




श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘शीलवती आग’ की बाईसवीं कविता 





तीसरा विकल्प

जय-जयकारों से प्रमादित जनार्दन को
प्रमाद का प्रसाद प्राप्त हो गया
गिरोहों की गुलाम हो गई है क्रान्ति
गरिमा का गणित समाप्त हो गया।
शेष हैं दो ही विकल्प
या तो गाली दे गणित को
या कोसे करम को।
पर मेरे पास है तीसरा विकल्प
समीक्षा करो स्वयं के संकल्प की
निकम्मे आक्रोश को अनुशासित रख कर
फिर से उभारो
शोणित सो गया है, मरा नहीं है
सही भूमिका के लिए उसे फिर से पुकारो।
परिवर्तन से पीठ टिका कर बैठने की परिणति
और क्या होगी ?
क्रान्ति का नारा बनाने वालों की गति
और क्या होगी?
पीढ़ियाँ जब करने लगती हैं
इंकलाब पर केवल बहस
तो इंकलाब चुप हो जाता है
लफ्फाजी से लगाव नहीं हैं उसका
सूरज की छाती पर सिर रख कर
तब वह आराम से सो जाता है।
रक्त पीने और पिलाने की क्षमता हो जिसमें 
वह ही लगाए आवाज इंकलाब को, क्रान्ति को
सड़ा, सफेद और मुर्दार खून 
बड़े शौक से हल करे गिरोहों का समीकरण
और बनाये रखे
श्मशान की शान्ति को।
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संग्रह के ब्यौरे
शीलवती आग (कविता संग्रह)
कवि: बालकवि बैरागी
प्रकाशक: राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर, मोतिया पार्क, भोपाल (म.प्र.)
प्रथम संस्करण: नवम्बर 1980
कॉपीराइट: लेखक
मूल्य: पच्चीस रुपये 
मुद्रक: सम्मेलन मुद्रणालय, प्रयाग





यह  संग्रह  हम  सबकी  ‘रूना’  ने  उपलब्ध  कराया है।  ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।



रूना के पास उपलब्ध, ‘शीलवती आग’ की प्रति के कुछ पन्ने गायब थे। संग्रह अधूरा था। कृपावन्त राधेश्यामजी शर्मा ने गुम पन्ने उपलब्ध करा कर यह अधूरापन दूर किया। राधेश्यामजी, दादा श्री बालकवि बैरागी के परम् प्रशंसक हैं। वे नीमच के शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्याख्याता हैं। उनका पता एलआईजी 64, इन्दिरा नगर, नीमच-458441 तथा मोबाइल नम्बर 88891 27214 है। 














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