आज धरा बेहाल है

 



श्री बालकवि बैरागी के गीत संग्रह
ललकार’ का नौवाँ गीत







दादा का यह गीत संग्रह ‘ललकार’, ‘सुबोध पाकेट बुक्स’ से पाकेट-बुक स्वरूप में प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह की पूरी प्रति उपलब्ध नहीं हो पाई। इसीलिए इसके प्रकाशन का वर्ष मालूम नहीं हो पाया। इस संग्रह में कुल 28 गीत संग्रहित हैं। इनमें से ‘अमर जवाहर’ शीर्षक गीत के पन्ने उपलब्ध नहीं हैं। शेष 27 में से 18 गीत, दादा के अन्य संग्रह ‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ में संग्रहित हैं। चूँकि, ‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ इस ब्लॉग पर प्रकाशित हो चुका है इसलिए दोहराव से बचने के लिए ये 18 गीत यहाँ देने के स्थान पर इनकी लिंक उपलब्ध कराई जा रही है। वांछित गीत की लिंक पर क्लिक कर, वांछित गीत पढ़ा जा सकता है।    


आज धरा बेहाल है

ओ चन्दा के किरण-किशोरों! ओ! री किरण-किशोरियों,
कह देना अपने बाबुल से, आज धरा बेहाल है

माली बदल गये बगिया के, सहमी-सहमी गन्ध है
कलियों की मृदु मुस्कानों पर, आज नया प्रतिबन्ध है
कोयलिया गुमसुम बठी है, रोती हार सिंगार है
अपशकुनों में होड़ लगी है, भँवरे सब लाचार हैं
प्यासी चकवी तड़प रही है संगीनों की नोंक पर
ऐटम का रनिवास रक्त से बेहद मालामाल है
कह देना अपने बाबुल से आज.....

पूनम को भी समझा देना, धरती पर अब आये ना
चाँदनियाँ की धवला साड़ी, पहन-पहन इतराये ना
सम्भवतः बारूद बँधेगी, इन धवला परिधानों में
षड़यन्त्रों के समाचार हैं, मानव की मुसकानों में
आँखों में है रक्त पिपासा, गीत अमन के ओठों पर
मौसम का मन ऐसा बिगड़ा, मिलती नही मिसाल है
कह देना अपने बाबुल से आज.....

महानाश का ज्वार उठा है, होश नहीं है होश को
हर मूर्छित गाली देता है, पास पड़े बेहोश को
तिनके तोड़ रही है भावी, झुका भूत का भाल है
वर्तमान के वक्षस्थल पर, विषधर अति विकराल है
ऐसे में कुछ लेखनियाँ ही, बातें करतीं होश की
टाले उनके तेवर ने ही, अब तक के भूचाल हैं
कह देना अपने बाबुल से आज.....

अपनी डोली नहीं उतारो, करो नहीं मन माना तुम
जिस दिन मेरा सरगम बदले, उस दिन वापस आना तुम
मेरे मन को मत उलभझाओ, अपने रूप जवानी पर
मेरी स्याही को मत लूटो, इस चाँदी के पानी पर
मेरा बोझा नहीं बँटेगा, इन रेशम की बाहों से
मनु पुत्रों की साँस-साँस में लिपटे लाख सवाल हैं
कह देना अपने बाबुल से.....
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इस संग्रह के, अन्यत्र प्रकाशित गीतों की लिंक - 

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गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।

 

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