यह संग्रह दा’ साहब श्री माणक भाई अग्रवाल को समर्पित किया गया है।
ये फागुन और याद तुम्हारी
अँखियाँ हुईं घटा की सखियाँ
पीड़ा की पनिहारी
ये फागुन और याद तुम्हारी
पीड़ा की पनिहारी
ये फागुन और याद तुम्हारी
000
शरद धुला अम्बर का आँगन
धरती के कण-कण पर फागन
हर मधुकर के अधर उजागर
हर कलिका की साध सुहागन
मेरी साधें अपराधिन-सी
देखें अलख अटारी
ये फागुन और याद तुम्हारी
000
मादकता किसने बिखराई
बहक गई सारी अमराई
चीर दिया दिल हर टेसू का
नहीं समाती है अरुणाई
वेणु सुनाई पड़ती है पर
पूजे किसे पुजारी
ये फागुन और याद तुम्हारी
000
सारी दुनिया देती ताने
तुम भी आज बने अनजाने
किसके आगे दुखड़ा रोऊँ
मेरी बस मेरा मन जाने
खूब दिया रे देने वाले
तेरी भी बलिहारी
ये फागुन और याद तुम्हारी
-----
संग्रह के ब्यौरे
दो टूक (कविताएँ)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज, कश्मीरी गेट, दिल्ली।
पहला संस्करण 1971
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मूल्य - छः रुपये
मुद्रक - रूपाभ प्रिंटर्स, शाहदरा, दिल्ली।
-----
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.