श्री बालकवि बैरागी
के प्रथम काव्य संग्रह ‘दरद दीवानी’ की बाईसवीं कविता
के प्रथम काव्य संग्रह ‘दरद दीवानी’ की बाईसवीं कविता
नैना कौन सुखाये
आलि री! नैना कौन सुखाये
आँगन जब-जब कागा बोले, दरद जिया को जाये
गयो दरद पुनि आ गयो सजनी, पर पाहुन नहीं आये
नैना कौन सुखाये.....
सावन गरजे, भादों बरसे, वन-उपवन गदराये
पर पावस की मावस में भी, मन मधुबन जल जाये
नैना कौन सुखाये.....
इत देखत, उत देखत अँखियाँ, देखत लाज भुलाये
का भींजत है, ये का जाने, बस बरसत ही जाये
नैना कौन सुखाये.....
आज न आये, कल आयेंगे, कल, कल में कल जाये
चरन पखारन जो जल राख्यो, बिरथा ही बह जाये
नैना कौन सुखाये.....
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दरद दीवानी
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज निलय, बालाघाट
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण पृष्ठ - मोहन झाला, उज्जैन
मुद्रक - लोकमत प्रिंटरी, इन्दौर
प्रकाशन वर्ष - (मार्च/अप्रेल) 1963
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज निलय, बालाघाट
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण पृष्ठ - मोहन झाला, उज्जैन
मुद्रक - लोकमत प्रिंटरी, इन्दौर
प्रकाशन वर्ष - (मार्च/अप्रेल) 1963
पूर्व कथन - ‘दरद दीवानी’ की कविताएँ पढ़ने से पहले’ यहाँ पढ़िए
इक्कीसवीं कविता: ‘अब मैं गीत सुनाऊँगा’ यहाँ पढ़िए
तेईसवीं कविता: ‘यदि तुम मेरे गीत न गाओ’ यहाँ पढ़िए
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