‘चटक म्हारा चम्पा’ की उन्नीसवीं कविता
यह संग्रह श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्पित किया गया है।
लाली चाली सासरे
अरे जमई सा भला पधार्या लाली ने लेई जाजो
म्हारो सन्देसो थी भी सुणजों समदण ने समझाजो
नौ-नौ वजाँ अठे उठती थी, धड़ी धान पिसवाजो
खेंच कानड़ा खूब बदाजो कई शरम मत खा जो
पाव तेल माथा में चावे घर में मती बसाजो
चोट्याँँ-वोट्याँ परी कटाजो मिण्ड्याँ बोर गुँथाजो
आधी नागी फरी अठे तो लँहगो व्हाँ पेराजो
फाटे मूँडे रोती-फरती छेड़ो वठे कड़ाजो
स्नो पावडर याँ खूब वगाड़्यो गोबर वटे नकाजो
ज्यादा गडबड़ करे वटे तो डण्ट्या रोज टिकाजो
कुर्सी टेबल याँं तो तोड़ी वटे मती तुड़वाजो
गदरा पर या खूब लोट ली धरत्याँ ही होवाजो
चाय राँड की याद करे तो चक्कर में मत आजो
ज्यादा नखरा करे वटे तो चोटी पकड़ घुमाजो
मेट्रिक पास करीने आई या मत मन में लाजो
हाँझ-हवेराँ घर का बरतन अण से खूब मँजाजो
सिनेमा ने नाटक-फाटक बिलकुल मती वताजो
राती धन्धो आवा लागे असो काम करवाजो
लाड़ प्यार में वगड़ी बेटी थें मत लाड़ लड़ाजो
और बारणो हग्गा बाप को पाछो मतो बताजो
ऑंख काड़ता रीजो अण पर मूँडे मती लगाजो
अतरा पर भी नी हुदरे तो सब होरी में जाजो
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संग्रह के ब्यौरे
चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन
चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन
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