‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’
की पिच्यानब्बेवी कविता
यह कविता संग्रह
पाठकों को समर्पित किया गया है।
श्रद्वांजलि: तीन पीढ़ियों को
शोक सभा में
तथाकथित स्वर्गवासी की तस्वीर पर
उन्होंने फूल चढ़ाये
प्रणाम किया
और अपनी अद्भुत श्रद्धांजलि
कुछ इस तरह दी-
‘चूँकि भारत का हर मरने वाला
स्वर्गवासी ही होता है
इसलिए
वे भी स्वर्ग में ही गये होंगे।
यद्यपि आजीवन वे
दुराचारी, भ्रष्टाचारी, बलात्कारी
व्यभिचारी और मुनाफाखोर रहे
रिश्ता नहीं रहा उनका
कभी परोपकार से
किसी को भी उन्होंने पुकारा नहीं प्यार से
कभी नहीं लगा कि
वे इंसान के बच्चे थे
तब भी
हमारे स्वर्गीय बन्धु
अपने दादा, पिता और बडे भाई से
बहुत अच्छे थे।
भगवान उनकी आत्मा को सम्हाले
कितनी लम्बी उम्र जिये स्साले!’
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‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अट्ठाईसवी कविता ‘हम हैं सिपहिया भारत के’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनतीसवी कविता ‘आह्वान’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तीसवी कविता ‘दो-दो बातें’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इकतीसवी कविता ‘गोरा-बादल’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बत्तीसवी कविता ‘मेरे देश के लाल हठीले’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तैंतीसवी कविता ‘हम बच्चों का है कश्मीर’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौंतीसवी कविता ‘नई चुनौती जिन्दाबाद’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पैंतीसवी कविता ‘नये पसीने की नदियों को’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छत्तीसवी कविता ‘अन्तर का विश्वास’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सैंतीसवी कविता ‘मधुवन के माली से’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अड़तीसवी कविता ‘देख ज़माने आँख खोल कर’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनचालीसवी कविता ‘छोटी सी चिनगारी ही तो’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चालीसवी कविता ‘ऐसा मेरा मन कहता है’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इकतालीसवी कविता ‘काफिला बना रहे’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बयालीसवी कविता ‘माँ ने तुम्हें बुलाया है’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तरालीसवी कविता ‘रूपम् से’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चव्वालीसवी कविता ‘उमड़ घुमड़ कर आओ रे’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पैंतालीसवी कविता ‘मेघ मल्हारें बन्द करो’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छियालीसवी कविता ‘एक गीत ज्वाला का’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सैंतालीसवी कविता ‘जो ये आग पियेगा’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की अड़तालीसवी कविता ‘फिर चुपचाप अँधेरा’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की उनपचासवी कविता ‘तरुणाई के तीरथ’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पचासवी कविता ‘अधूरी पूजा’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की इक्यावनवी कविता ‘अंगारों से’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की बावनवी कविता ‘एक बार फिर करो प्रतिज्ञा’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की तरेपनवी कविता ‘अग्नि-वंश का गीत’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की चौपनवी कविता ‘चिन्तन की लाचारी’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की पचपनवी कविता ‘कोई इन अंगारों से प्यार तो करे’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की छप्पनवी कविता ‘इस वक्त’ यहाँ पढ़िए
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ की सत्तावनवी कविता ‘उनका पोस्टर’ यहाँ पढ़िए
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संग्रह के ब्यौरे -
मैं उपस्थित हूँ यहाँ: छन्द-स्वच्छन्द-मुक्तछन्द-लय-अलय-गीत-अगीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - डायमण्ड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
एक्स-30, ओखला इण्डस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली-110020
वर्ष - 2005
मूल्य - रुपये 95/-
सर्वाधिकार - लेखकाधीन
टाइप सेटिंग - आर. एस. प्रिण्ट्स, नई दिल्ली
मुद्रक - आदर्श प्रिण्टर्स, शाहदरा
रतलाम के सुपरिचित रंगकर्मी श्री कैलाश व्यास ने अत्यन्त कृपापूर्वक यह संग्रह उपलब्ध कराया। वे, मध्य प्रदेश सरकार के, उप संचालक अभियोजन (गृह विभाग) जैसे प्रतिष्ठापूर्ण पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। रतलाम में रहते हैं और मोबाइल नम्बर 94251 87102 पर उपलब्ध हैं।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 6 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
चयन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteगजब का सच्च , शानदार अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबैरागी जी को पढ़वाने के सार्थक कार्य हित साधुवाद।
सादर।
ब्लॉग पर आने के लिए और टिप्पणी कने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरा हौसला बढा।
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