‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’
की सित्यानब्बेवी कविता
यह कविता संग्रह
पाठकों को समर्पित किया गया है।
अपने ही पिंजरों में रहना है
बहुत नाराज हैं लोग
नाराज ही नहीं, सख्त नाराज
उतने ही और वैसे ही
जैसे कि आप से
आपकी मंगेतर-प्रेमिका-पत्नी
या कि प्रेमी और घरवाला
सारे प्रान्तर में फैल गई है
गुस्से और गलीजपन की
बदबूदार जंगली ज्वाला।
एक बेचारगी एक बदहवासी में
बिलबिला रहे हैं सब
जिसे देखो वो
नोच रहा है अपने ही बाल
फाड़ रहा है अपने ही कपड़े
काट रहा है अपनी ही कलाइयाँ
उधेड़ रहा है अपनी ही सिलाइयाँ।
पूछे कोई कारण
या हो कोई गहराई
तो, किसी को कुछ पता नहीं।
कह रही है मुझसे मेरी कलम
कि बेकार की लिखत-पढ़त करके
इन दिलजलों को
तू और सता नहीं।
जब बरसते बादल
नाचते मोर
गाते पपीहे, चटखती
कलियाँ, खिलते फूल
इतनी तीजें
इतने त्यौहार
इतने उत्सव
इतने मेले
सिकते भुट्टे और
कड़क मूँगफली के ठेले
नहीं उतार सके इनका गुस्सा
तो फिर क्या तू और
क्या तेरा कहानी किस्सा?
घड़ी, अध-घड़ी चुप हो जा
नींद का नाटक कर
और सेंतमेंत की चादर में सो जा।
ये लगते हैं, एक-दूसरे से नाराज
पर बात है उलट
हकीकत में खुद से नाराज हैं
अपनी बादशाहत के बादशाह हैं
अपनी ही रियासत के महाराज हैं।
दूसरों से इन्हें कुछ न
लेना है न देना है
हरी मिर्च पर पलने वाले
इन तोतों को
अपने ही पिंजरों में
रहना है।
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संग्रह के ब्यौरे -
मैं उपस्थित हूँ यहाँ: छन्द-स्वच्छन्द-मुक्तछन्द-लय-अलय-गीत-अगीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - डायमण्ड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
एक्स-30, ओखला इण्डस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली-110020
वर्ष - 2005
मूल्य - रुपये 95/-
सर्वाधिकार - लेखकाधीन
टाइप सेटिंग - आर. एस. प्रिण्ट्स, नई दिल्ली
मुद्रक - आदर्श प्रिण्टर्स, शाहदरा
रतलाम के सुपरिचित रंगकर्मी श्री कैलाश व्यास ने अत्यन्त कृपापूर्वक यह संग्रह उपलब्ध कराया। वे, मध्य प्रदेश सरकार के, उप संचालक अभियोजन (गृह विभाग) जैसे प्रतिष्ठापूर्ण पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। रतलाम में रहते हैं और मोबाइल नम्बर 94251 87102 पर उपलब्ध हैं।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-१०-२०२१) को
'प्रेम ऐसा ही होता है'(चर्चा अंक-४२१०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
चयन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteसुंदर रचना आदरणीय ।
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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