.....एक बार फोन कर देना

बतरसियों और अड्डेबाजों के लिए बीमा एजेण्ट होना सर्वाधिक अनुकूल धन्धा है। लोगों से मिलने, बतियाने शौक भी पूरा होता है और दो जून की रोटी भी मिल जाती है। जाहिर है, बीमा एजेण्ट के सम्पर्क क्षेत्र में ‘भाँति-भाँति के लोग’ स्वाभाविक रूप से होते ही हैं। ये ‘भाँति-भाँति के लोग’ एजेण्ट को केवल आर्थिक रूप से ही समृद्ध नहीं करते, जीवन के अकल्पित आयामों से भी परिचित कराते हैं। ये ‘भाँति-भाँति के लोग’ कभी गुदगुदाते हैं, कभी चिढ़ाते है, कभी क्षुब्ध करते हैं तो कभी उलझन में डाल देते हैं
आज सुबह हुआ एक फोन-संवाद बिना किसी टिप्पणी, बिना किसी निष्कर्ष के, जस का तस प्रस्तुत है -

‘हलो अंकल!’

‘हलो।’

‘अंकल! वो आप हफ्ता भर पहले पापा की प्रीमीयम का चेक ले गए थे।’

‘हाँ। ले गया था। क्या हुआ?’

‘हुआ तो कुछ नहीं अंकल। बस! वो, चेक खाते में तो डेबिट हो गया लेकिन रसीद अब तक नहीं आई।’ 

‘रसीद नहीं आई? ऐसा कैसे हो सकता है? रसीद तो मैंने उसी रात को भिजवा दी थी। लिफाफे में। तुम्हारे पापा के नाम का लिफाफा था।’

‘लिफाफा? हाँ! हाँ!! एक सफेद लिफाफा आया तो था पापा के नाम का। उसमें रसीद थी?’

‘खोल कर नहीं देखा? उसमें रसीद ही थी। अभी देखो।’

‘अभी तो नहीं देख सकता। लिफाफा, पता नहीं, कहाँ रख दिया है।’

‘तो तलाश करो। खोल कर देखो। रसीद उसी में है।’

‘ठीक है अंकल। देखता हूँ।’

‘हाँ। देखो और मुझे बताना।’

‘जी अंकल। थैंक्यू।’

कोई बीस मिनिट बाद ‘उसका’ फोन आया -

‘रसीद मिल गई अंकल। लिफाफे में ही थी। थैंक्यू।’

‘ठीक है। पापा को मेरे नमस्कार कहना।’

‘जी अंकल। श्योर। लेकिन एक रिक्वेस्ट है अंकल।’

‘बोलो।’

‘वो अंकल! आगे से आप जब भी लिफाफे में रसीद भेजो तो एक बार फोन कर देना कि लिफाफे में रसीद भेजी है।’

‘..........!!!’
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9 comments:

  1. ये तो मज़ा आ गया :). फ़ोन की सुविधा का लाभ। किसी ने आपको निरुत्तर कर ही दिया।
    अगले 2 दिन तक हंसते रहूँगा इस बात पर। वैसे आप यदि इस टिप्पणी का जवाब दें तो एक व्हाट्सएप्प संदेश जरूर डाल देना ☺️☺️☺️☺️

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    1. किसे जवाब दूँ - 'उसकी' अन्तिम बात का या तम्‍हारी इस टिप्‍पणी का?

      दोनों का एक ही जवाब है -

      दोस्‍तों से जान पे सदमे उठाए इस कदर,
      दुश्‍मनों से बेवफाई का गिला जाता रहा।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-08-2019) को "चार कदम की दूरी" (चर्चा अंक- 3443) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपा है आपकी।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० अगस्त २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपा बनाए रखें।

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  4. एक-से-एक लोग भरे पड़े हैं दुनिया में!बीमा एजेंट अगर लेखक भी हो फिर तो फिर तो सोने में सुहागा.

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आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.